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जनसंख्या पर बोले मोहन भागवत, केवल खाना-पीना और प्रजा बढ़ाना, ये काम तो पशु भी करते हैं

देश में इस वक्त तेजी से बढ़ती जनसंख्या बना एक बड़ा मुद्दा

RSS प्रमुख मोहन भागवत ने जनसंख्या नियंत्रण पर दी अपनी राय

नेशनल डेस्क: देश में इस वक्त तेजी से बढ़ती जनसंख्या एक बड़ा मुद्दा बनती जा रही है। कुछ दिन पहले यूएन रिपोर्ट में कहा गया है कि जल्‍द ही भारत आबादी के मामले में चीन को पीछे छोड़ देगा। इसके बाद से ही देश में नेताओं ने तेजी से बढ़ती जनसंख्या को लेकर बयानबाजी शुरू कर दी। इस पर आरएसएस यानी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत ने जनसंख्या नियंत्रण पर अपनी राय दी है।

मोहन भागवत ने ये कहा
कर्नाटक के चिकबल्लापुरा जिले के मुद्देनहल्ली में श्री सत्य साईं यूनिवर्सिटी फॉर ह्यूमन एक्सीलेंस के पहले दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए RSS प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि मनुष्य के पास अगर बुद्धि नहीं होती तो वो पृथ्वी पर सबसे कमजोर प्राणी होता। लेकिन कभी संज्ञानात्मक आवेग मनुष्य के जीवन में आया जिसने उसे सर्वश्रेष्ट बनाया मगर केवल खाना-पीना और प्रजा बढ़ाना, ये काम तो पशु भी करते हैं। जो ताकतवर है वो जीवन जी लेगा, यह जंगल का कानून है लेकिन मनुष्यों की व्याख्या है कि सबसे योग्य व्यक्ति दूसरों को जीने में मदद करेगा।’

rss chief mohan bhagwat said food and increasing population is the work of animals| RSS Chief Mohan Bhagwat बोले- खाने और जनसंख्या बढ़ाने का काम तो जानवर भी करते हैं, मनुष्य के

’10-12 साल पहले कहा होता कि भारत आगे बढ़ेगा तो हम इसे गंभीरता से नहीं लेते’
भागवत ने कहा, ‘अगर किसी ने 10-12 साल पहले कहा होता कि भारत आगे बढ़ेगा तो हम इसे गंभीरता से नहीं लेते।’ उन्होंने कहा कि राष्ट्र की प्रक्रिया तत्काल शुरू नहीं हुई, यह 1857 से है, जिसे स्वामी विवेकानंद द्वारा आगे बढ़ाया गया। संघ प्रमुख ने कहा कि आध्यात्मिक साधनों के जरिये उत्कृष्टता प्राप्त की जा सकती है क्योंकि विज्ञान अभी तक सृष्टि के स्रोत को नहीं समझ पाया है। भागवत ने कहा कि मौजूदा विज्ञान में बाहरी दुनिया के अध्ययन में समन्वय और संतुलन का अभाव है, जिसके परिणामस्वरूप हर जगह विवाद की स्थिति पैदा होती है।

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मोहन भागवत ने आगे कहा, ‘अगर आपकी भाषा अलग है, तो विवाद है। अगर आपकी पूजा पद्धति अलग है, तो विवाद है और अगर आपका देश अलग है, तो विवाद है। विकास और पर्यावरण तथा विज्ञान और अध्यात्म के बीच विवाद है। कुछ इस तरह पिछले 1,000 साल में दुनिया आगे बढ़ी है।’

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