- कुल इतने दिन होगा पितृ पक्ष में पितरों का श्राद्ध
- इस दिन श्राद्ध के अलाव होती है श्री हरि की भी पूजा
धर्म डेस्क: पितृ पक्ष में पितरों का तर्पण किया जाता है, इस बारें तो लगभग लोग जानते ही होंगे। मगर इस दौरान आने वाले 15 तिथियों का क्या रहस्य है? किस तिथि का किस पूर्वज या पितर से संबंध है? इन 15 दिनों में किसी तिथि को किसका श्राद्ध करना चाहिए? ये ऐसे सवाल हैं जो आज भी बहुत से लोगों के दिमाग में चलते हैं। खासतौर पर ये सवाल आज कल की नई पीढ़ी के मन में पैदा होते हैं। तो चलिए आज इन्हीं प्रश्नों के उत्तर जानते हैं कि पितृ पक्ष की 15 तिथियों के बारे में-
भगवान विष्णु को समर्पित गरुड़ पुराण तथा कठोपनिषद् में कहा गया है कि पितरों को सनातन धर्म में देवताओं के समान माना जाता हैै। इतना ही नहीं इनके बारे में ये भी कहा जाता है कि तमाम देवी-देवताओं के समान ही वरदान और श्राप देने क्षमता भी रखते हैं। मान्यता है कि जब पितर प्रसन्न होते हैं तो जातक के जीवन की तमाम समस्याएं दूर हो जाती हैं। मगर
आइए जानें किस दिन कौन सी तिथि का श्राद्ध होगा और इनका क्या महत्व है-
श्राद्ध पक्ष की प्रमुख तिथियां 2020-
प्रतिपदा का श्राद्ध 2 सितंबर बुधवार
द्वितीया का श्राद्ध 3 सितंबर गुरुवार
तृतीया का श्राद्ध 5 सितंबर शनिवार
चतुर्थी का श्राद्ध 6 सितंबर रविवार
पंचमी का श्राद्ध 7 सितंबर सोमवार
षष्ठी का श्राद्ध 8 सितंबर मंगलवार
सप्तमी का श्राद्ध 9 सितंबर बुधवार
अष्टमी का श्राद्ध 10 सितंबर गुरुवार
नवमी का श्राद्ध 11 सितंबर शुक्रवार
-शास्त्रों के अनुसार नवमी तिथि के दिन परलोकगत महिलाओं का श्राद्ध संपन्न किया जाता है।
दशमी का श्राद्ध 12 सितंबर शनिवार
एकदशी का श्राद्ध 13 सितंबर रविवार
– इस दिन इंदिरा एकादशी होती है, शास्त्रों के अनुसार इस दिन व्रत करने से भगवान विष्णु के साथ-साथ पितरों भी प्रसन्न होते हैं। इसके अलावा पुण्यदान देने से जातक को यमलोक से मुक्ति मिलती है।)
द्वादशी का श्राद्ध 14 सितंबर सोमवार
धार्मिक शास्त्रों के अनुसार इस दिन संन्यासियों का श्राद्ध भी संपन्न किया जाता है।
त्रयोदशी का श्राद्ध 15 सितंबर मंगलवार
चतुर्दशी का श्राद्ध 16 सितंबर बुधवार
पितृ पक्ष की चतुर्दशी के दिन दुर्घटना, विष, शस्त्र एवं किसी भी तरह से अप्राकृतिक मृत्यु को प्राप्त होने वाले का श्राद्ध किया जाता है
अमावस्या का श्राद्ध 17 सितंबर गुरुवार
अमावस्या तिथि में मृत्यु को प्राप्त हुए लोगों के अलावा जिनकी मृत्यु की तिथि कान न पता हो या जिनका श्राद्ध पक्ष में मृत्यु तिथि पर श्राद्ध नहीं हुआ हो उनका श्राद्ध किया जाता है।ो