मुख्यमंत्री केजरीवाल की याचिका खारिज
मुख्यमंत्री का ऐसा बयान शोभा नहीं देता
2014 में दर्ज हुआ था मुकदमा
(उत्तरप्रदेश डेस्क) इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ ने वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव के दौरान अमेठी जिले में भाजपा और कांग्रेस के नेताओं के खिलाफ सार्वजनिक रूप से अपमानजनक टिप्पणी करने के मामले में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के खिलाफ आपराधिक कार्यवाही को रद्द करने से इनकार कर दिया.न्यायालय ने इसके साथ ही एक टिप्पणी भी की है कि एक राज्य के मुख्यमंत्री को ऐसे बयान शोभा नहीं देते यह निर्णय न्यायमूर्ति राजेश सिंह चौहान की एकल पीठ ने अरविंद केजरीवाल की याचिका पर पारित किया
अरविंद केजरीवाल पर 2014 के आम चुनावों के दौरान अमेठी के गौरीगंज और मुसाफिर खाना थानों में उनके और आप के अन्य नेताओं के खिलाफ दर्ज दो मामलों में मामला दर्ज किया गया था।जिन विभिन्न धाराओं के तहत प्राथमिकी दर्ज की गई थी, उनमें सांप्रदायिक सद्भाव को बढ़ावा देने के लिए जनप्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा 125, गैरकानूनी रूप से इकट्ठा होना , लोक सेवकों को उनके कर्तव्य का निर्वहन करने से रोकना , गलत तरीके से उन्हें रोकना शामिल है और दूसरों के अलावा उन्हें अपना कर्तव्य करने से रोकने के लिए उन पर हमला करना।
कथित तौर पर भड़काऊ भाषण देने और पार्टी उम्मीदवार कुमार विश्वास के लिए चुनाव प्रचार के दौरान आदर्श आचार संहिता का उल्लंघन करने के बाद उनके खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई थी।
हाईकोर्ट के जस्टिस राजेश सिंह चौहान की बेंच ने अपने आदेश में कहा कि अरविंद केजरीवाल ने कहा था कि जो कोई बीजेपी को वोट करेगा उन्हें खुदा भी माफ नहीं करेगा। बेंच का कहना था कि ऐसा करके केजरीवाल वोटर्स के मन में भय पैदा कर रहे थे। उन जैसी शखसियत को ऐसा करना शोभा नहीं देता। लिहाजा उन्हें इस मामले में कोई राहत नहीं दी जा सकती। अदालत का कहना था कि केजरीवाल को पता था कि खुदा का नाम लेने से एक संप्रदाय विशेष को वोटर्स डाईवर्ट हो सकते हैं। बेंच ने ये भी कहा कि केजरीवाल ने जो कुछ कहा उसके पीछे एक रणनीति थी।
केजरीवाल ने आरोप पत्र से नाम हटाने के लिए एक आवेदन दाखिल किया था, लेकिन सुलतानपुर की विशेष एमपी-एमएलए अदालत ने उसे चार अगस्त 2022 को खारिज कर दिया था. इस आदेश के खिलाफ, केजरीवाल ने पुनरीक्षण याचिका दायर की थी, जिसे 21 अक्टूबर, 2022 को सुलतानपुर की सत्र अदालत ने खारिज कर दिया था.