- दीवाली तक बंद रहेंगे सबरीमाला मंदिर के कपाट
- गाइडलाइन्स को लेकर सरकार कर रही है विचार
धर्म डेस्क: देश में कोरोना के चलते बहुत से मंदिर आदि के कपाट आम लोगों के लिए बंद हैं। इन प्रसिद्ध मंदिरों को बंद करने का कारण यही है किसी भी धार्मिक स्थल आदि पर लोगों को हुजूम इकट्ठा न हो। ऐसे में लोग की निराशा बढ़ती जा रही है। इसी निराश में अब चार चांद लगा दिए हैं केरल की सरकार ने। जी हां, बताया जा रहा है कि केरल सरकार की तरफ़ से लोगों के सुरक्षा के मद्देनज़र ये फैसला लिया गया है कि कोरोना के बढ़ते आंकड़ों के चलते देश भर में सुप्रसिद्ध केरल का सबरीमाला मंदिर, अभी भी यानि दीवाली तक ये मंदिर बंद ही रहेंगे।
हालांकि बता दें अभी मंदिर के प्रबंधन त्रावणकोर देवस्वोम बोर्ड इसे लेकर कुछ स्पष्ट नहीं कर रहे। बोर्ड ने बताया कि समिति ने सरकार को अपनी तरफ़ से प्रस्ताव भेजे हैं, जिसे लेकर सरकार फिलहाल विचार-विमर्श करने के बाद फैसला लेगी। मगर ये सुझाव क्या है आइए जानते हैं विस्तारपूर्वक-
जो सुझाव बोर्ड की तरफ़ से दिए गए हैं अगर सरकार की तरफ से इन पर लागू किया जाए तो यहां दर्शन करने वाले हर श्रद्धालु को लगभग 24 दिन तक क्वारैंटाइन रहना होगा। जी हां, आमतौर पर अभी हर जगह ज्यादा से ज्यादा 14 दिन का क्वारैंटाइन होना आवश्यक था मगर यहां पर 14 नहीं बल्कि 24 दिन के लिए क्वारैंटाइन होे पडे़गा। जिसमें दर्शन से पहले और 10 दिन दर्शन के बाद।
बता दें कि केरल का धर्मस्व और सांस्कृतिक विभाग इस बात की पुष्टि कर चुका है कि फिलहाल मंदिर में होने वाली किसी भी प्रकार की पूजा में किसी को आने की अनुमति नहीं है। हालांकि 16 से 21 सितंबर तक मंदिर को मासिक पूजा के लिए खोला ज़रूर जाएगा, मगर इसमें अभी किसी श्रद्धालु को प्रवेश करने नहीं दिया जाएगा।
विशेष समिति के सुझाव-
20 साल से कम और 50 साल से अधिक के लोगों को न हो दर्शनों की अनुमति।
दर्शन से पहले 14 दिन के लिए तथा दर्शन के बाद 10 दिन के लिए क्वारैंटाइन होना ज़रूरी।
1 समय में 5000 लोगों को ही मिले मंदिर प्रवेश की अनुमति।
रोज़ाना मंदिर में हो कोविड-19 टेस्ट।
प्रमुख पूजाओं में केवल 50 लोगों की हो उपस्थिति।
ऑनलाइन अनुमति, वर्चुअल क्यू सिस्टम, प्रसाद और हार-फूल जैसी चीजों हो मना।
लोक मत है हर वर्ष नवंबर-दिसंबर के माह में जिसे मलयालम कैलेंडर के अनुसार मंडलम् और मकरविलक्कू माह के नाम से जाना जाता है, में लगभग 30 लाख श्रद्धालु दर्शन करते हैं। मगर कोरोना की वजह से इस साल श्रद्धालुओं की भीड़ का ये नज़ारा देखने को नहीं मिलेगा।