- संगम नगरी के साधु-संतों ने महर्षि भरद्वाज के नाम पर स्थापित भरद्वाज पार्क को लेकर विरोध
- साधु-संतों ने महाकुंभ 2025 से पहले महर्षि भरद्वाज पार्क को उसके मूल आश्रम स्वरूप में लाने की मांग की
- साधु-संतों ने हाथों में तख्तियां लेकर महर्षि भरद्वाज आश्रम को पार्क लिखे जाने का विरोध किया
प्रयागराज। महाकुंभ 2025 से पूर्व संगम नगरी के साधु-संतों ने यहां महर्षि भरद्वाज के नाम पर स्थापित भरद्वाज पार्क को उसके मूल स्वरूप में लाने की सरकार से मांग की है। यहां भरद्वाज पार्क पर एकत्रित साधु-संतों ने हाथों में तख्तियां लेकर महर्षि भरद्वाज आश्रम को पार्क लिखे जाने का विरोध किया। जगद्गुरु श्री धराचार्य ने कहा कि प्रयागराज के मूल पुरुष महर्षि भरद्वाज के 10,000 शिष्य थे, लेकिन इस आश्रम को पार्क बनाए जाने से यहां पर अश्लीलता हो रही है।
साधु संतों की मांग है कि पार्क के स्थान पर आश्रम लिखा जाए और पूरे क्षेत्र को आश्रम जैसा विकसित किया जाए। महंत शांडिल्य गुरु ने इस पार्क की ऐतिहासिकता बताते हुए कहा कि महर्षि याज्ञवल्य ने महर्षि भरद्वाज को पहली बार रामकथा यहीं सुनाई थी। ऐसे में यहां पर रामकथा होने की व्यवस्था की जानी चाहिए और युवक-युवतियों को यहां अश्लीलता की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए।
महानिर्वाणी अखाड़े के महंत यमुनापुरी ने कहा कि भरद्वाज जी कई विद्याओं के ज्ञाता और प्रवर्तक होने के साथ आयुर्वेद के जनक थे। उन्होंने कहा कि महर्षि भरद्वाज के नाम पर स्थापित पार्क में शिक्षा के बजाय अश्लीलता होती है, जिसे हम साधु-संत बर्दाश्त नहीं करेंगे। जगद्गुरु घनश्यामाचार्य ने कहा कि हम वैष्णव के लिए यह आपत्तिजनक है कि जिस जगह से शिक्षा का प्रसार हुआ, वहां पर इस समय अश्लीलता देखी जा रही है, इस आश्रम को जल्द से जल्द मुक्त किया जाए।