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अंधविश्वास की बलि चढ़ा 8 साल की मासूम की जान, तड़प-तड़पकर हुई बच्चे की मौत

  • सांप के काटने पर झाड़-फूंक करते रहे  परिजन
  • तड़प-तड़पकर हुई बच्चे की मौत
  • राजस्‍थान के अलवर की है घटना

नेशनल डेस्क: शिक्षित होने के बावजूद भी लोग अंधविश्वास में डूबते जा रहे हैं। अंधविश्वास की दीमक की दीमक समाज को धीरे-धीरे खाए जा रही है। इसके चलते न जाने कितने लोग, बच्चे मौत की बलि चढ़ चुके हैं। अब अंधविशवास का ऐसा ही मामला सामना आया है राजस्थान में। यहां अंधविश्वास के कारण बाउंटी के चिकसाना इलाके के बरखुर गांव में एक 8 वर्षीय बच्चे की मौत हो गई।

अलवर जिले के काठूमर के सेखपुरा गांव के निवासी विश्राम सिंह की पत्नी लक्ष्मी चिकसाना के बरखुर में हैं। उनका 8 वर्षीय बेटा आयुष दो साल से नानी-नाना के पास रहकर पढ़ाई कर रहा था। रविवार की सुबह आयुष नानी के साथ खेत पर गया जहां उसे सांप ने काट लिया। उसकी चीख सुनकर नानी घबरा गईं और तुरंत उन्हें बराकुर ले आईं। परिजन सांप को उस व्यक्ति के पास ले गए जिसने काटने के लिए दवा दी थी। तांत्रिक ने परिवार को बताया कि मैं यहां से मंत्र पढ़ता हूं। अपना मोबाइल स्पीकर बच्चे के कान पर रखें। यदि वह उसके कान में जप करता चला जाए, तो वह जीवित हो जाएगा। अंधविश्वास के चक्कर में परिवार इस कदर पागल हो गया कि बच्चे को इलाज के लिए अस्पताल लाने के बजाय पूरा दिन झाड़-फूंक में बिता दिया।

परिजनों ने तांत्रिक के कहे अनुसार बच्चे के कान पर एक मोबाइल स्पीकर लगाया गया था और उसे सुनाया गया था। तांत्रिक लगभग 30 किलोमीटर दूर से मंत्र पढ़ता रहा। हालाँकि, बच्चे के शरीर में कोई हलचल नहीं थी। इस पर तांत्रिक ने कहा कि तुम बच्चे को तुरंत मेरे पास ले आओ। बच्चे की जान जरूर बच जाएगी। इस पर परिजन अस्पताल से छुट्टी दे दी और मृत बच्चे को तांत्रिक के पास खानुआ ले गए। वहाँ भी, तांत्रिक ने लंबे समय तक तंत्र-मंत्र और झाड़ फूँक की। हालाँकि, बच्चे के शरीर में कोई हलचल नहीं थी।

 

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