धर्म डेस्क: इस्लाम धर्म को मानने वालों के लिए रमजान का महीना बेहद ही पाक महीना होता है। इस पाक महीने में इस्लाम के उपासक नियमित नमाज़ पढ़ते है और साथ ही रोजे भी रखते हैं। इस रमजान के महीने के अंत में ईद का त्यौहार मनाया जाता है। रमजान का महीना कब शुरू होगा यह चांद के निकलने पर निर्भर करता है। कर्नाटक के दक्षिण कन्नड़ और उडुप्पी जिलों में और केरल के कोझिकोड जिले में गुरुवार को रमजान का चांद दिख गया है। इसी के साथ ही रमजान के महीने की शुरुआत शुक्रवार से हो गई है।
15 घंटे और नौ मिनट का होगा पहला रोजा
इस बार सभी रोजे 15 घंटे से ज्यादा के होने वाले हैं। पहला रोजा 15 घंटे और नौ मिनट का होगा। वहीं अंतिम रोजा 15 घंटे और एक मिनट का होगा। पहला रोजा सुबह चार बजकर 15 मिनट पर शुरू होगा और शाम को 6 बजकर 54 मिनट पर समाप्त होगा।
क्यों होता है रमजान का महीना खास?
मुस्लिम समाज की मान्यताओं के अनुसार रमजान का महीना अल्लाह की इबादत के लिए सबसे खास महीना माना जाता है। इस महीने में मांगी गई सभी दुआएं कबूल हो जाती है। इस्लामी चंद्र कलेंडर के अनुसार नौवें महीने को रमदान अल मुबारक या रमदान का महीना कहा जाता है। इस महीने में दुनियाभर के सभी मुसलमान रोजा रखते है , कुरान पढ़ते है और रात को विशेष नमाज़ भी पढ़ते है। इस पूरे महीने हर मुसलमान दिन में पांच बार नमाज़ पढ़ता है। जो भी मुसलमान रोज़ा रखते हैं उन्हें सिर्फ खाने-पीने के परहेज के साथ-साथ गलत कामों से भी परहेज करना होता है। यहां तक कि मान्यता यह है की अगर इन दिनों में कोई गलत काम देख या सुन भी ली जाए तो रोजों का फल नहीं मिलता है।
तीन हिस्सों में बंटा है रमजान का महीना
इस्लाम की मान्यताओं के अनुसार रमजान का महीना तीन हिस्सों में बंटा हुआ है। शुरुआती 10 दिनों में अल्लाह की भरपूर रहमत बरसती है। इसके अगले 10 रोजे मगफिरत के कहे जाते हैं। इसमें अपने मरहूम बुजुर्गों के लिए दुआ मांगी जाती है। बचे हुए आखिरी 10 दिनों में मुस्लिम लोग जन्नत देने की दुआ मांगते हैं।
कौन-कौन रख सकता है रोजे?
माना जाता है कि बाकी महीनों के मुकाबले इस महीने में इबादत का ज्यादा सबाब मिलता है । बल्कि बाकी महीनों के मुकाबले 70 गुना ज्यादा सबाब मिलता है। रमजान के महीने में 7 साल से बड़े हर सेहतमंद मुसलमान के लिए रोजा रखना जरूरी है। इस महीने में अल्लाह अपने बंदों की हर जायज दुआ को कुबूल करते हैं और साथ ही उनको उनके गुनाहों से बरी भी करते हैं।