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भारत से कनाडा में बसने वालों की संख्या तीन गुनी बढ़ी

  • भारत से कनाडा में बसने वालों की संख्या दस साल में तीन गुनी बढ़ी

  • भारत की करीब सवा लाख की संख्या 

  • कनाडा सरकार आप्रवासन के पक्ष में रही

नई दिल्ली। 2013 के बाद से कनाडा में इमिग्रेट यानी प्रवास करने वाले भारतीयों की संख्या तीन गुना से अधिक हो गई है। इतनी बड़ी बढ़ोतरी आमतौर पर किसी शरणार्थी स्थिति में देखने में मिलती है। अंतर्राष्ट्रीय छात्रों और रोजगार-आधारित अप्रवासियों में ऐसी लगातार वृद्धि देखने को नहीं मिलती है।

बहरहाल, ये डेटा अमेरिका में सख्त आव्रजन नीतियों को दर्शाता है। विशेष रूप से ट्रम्प प्रशासन के दौरान ज्यादा सख्ती के चलते भारतीयों ने कनाडा में प्रवास करने का चयन करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।

नेशनल फाउंडेशन फॉर अमेरिकन पॉलिसी के इमिग्रेशन, रिफ्यूजी और नागरिकता कनाडा डेटा के विश्लेषण के अनुसार कनाडा में स्थायी निवासी बनने वाले भारतीयों की संख्या 2013 में 32,828 से बढ़कर 2022 में 118,095 हो गई, जो 260 फीसदी की वृद्धि है। 2022 में कनाडा में भारतीय आप्रवासन ने स्थायी निवासियों के लिए अन्य सबसे बड़े स्रोत देशों को बौना कर दिया है। भारत के आगे, चीन (31,815), अफगानिस्तान (23,735), नाइजीरिया (22,085) और फिलीपींस (22,070) कहीं नहीं ठहरते हैं। इसके विपरीत, 2014 में कनाडा में भारत की तुलना में फिलीपींस के अप्रवासी कहीं अधिक थे।

लंबी छलांग

2004 और 2012 के बीच कनाडा में भारतीय आप्रवासन 27,000 और 36,000 के बीच रहा। फिर, 2013 से 2014 तक कनाडा में भारतीय अप्रवासी 32,828 से बढ़कर 38,364 हो गए। इसके बाद 2015 (39,340) और 2016 (39,710) में आप्रवासन स्थिर रहा। 2017 में, कनाडा में भारतीय आप्रवासन बढ़कर 51,590 हो गया, फिर 2018 में बढ़कर 69,985 और 2019 में 85,590 हो गया। कोरोना महामारी से जुड़े मसलों और यात्रा व्यवधानों के कारण 2020 में संख्या घटकर 42,870 हो गई। लेकिन 2021 में,  ढील दी गई और कनाडा के आव्रजन अधिकारियों ने कनाडा में कार्य अनुभव को अधिक महत्व दिया, जिसके चलते स्थायी निवास प्राप्त करने वाले भारतीयों की संख्या 2021 में बढ़कर 127,940 और 2022 में 118,095 हो गई।

ट्रम्प प्रशासन की सख्ती

कनाडा में आप्रवासन करने वाले भारतीयों की संख्या में महत्वपूर्ण वृद्धि के दो महत्वपूर्ण कारण नजर आते हैं। अमेरिका हमेशा से भारतीयों के लिए बसने का टॉप डेस्टिनेशन रहा है लेकिन डोनाल्ड ट्रंप के प्रेसिडेंट बनने के बाद उनके प्रशासन ने इमिग्रेशन पर सख्त पाबंदियां लगा दीं। इसके चलते अमेरिका में आप्रवासन बेहद कठिन हो गया। ट्रम्प आप्रवासन के कड़े विरोधी रहे हैं। दूसरा कारण रहा है कनाडा द्वारा विदेशी प्रतिभाओं को आकर्षित करने और बनाए रखने की नीतियां। कनाडा सरकार आप्रवासन के पक्ष में रही है। जनवरी 2015 में, कनाडा ने अप्रवास को सुव्यवस्थित करने के लिए एक्सप्रेस एंट्री प्रोग्राम को अपनाया। यह विशेष रूप से उच्च-कुशल श्रमिकों के लिए था। अंतरराष्ट्रीय छात्रों के रूप में कनाडा में अनुभव था या अस्थायी स्थिति में काम करने वालों को भी सहूलियत दी गई। जून 2017 में, वैश्विक कौशल रणनीति कनाडा में शुरू हुई। एक सरकारी वेबसाइट के अनुसार, “कनाडा सरकार ने कनाडा में विदेशी निवेश को प्रोत्साहित करने, कनाडा में कार्यालय खोलने के लिए कंपनियों को प्रोत्साहित करने और शीर्ष विदेशी प्रतिभा को आकर्षित करने के लिए एक नया कार्यक्रम शुरू किया।”

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