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सुप्रीम कोर्ट ने…. केंद्र के 2016 में नोटबंदी वाले उठाए गए कदम को सही ठहराया,नोटबंदी की प्रक्रिया में कोई गड़बड़ी नहीं हुई है

  • कोर्ट की संविधान पीठ ने 4:1 बहुमत से केंद्र सरकार के फैसले को बरकरार रखा

  • नोटबंदी से पहले केंद्र और आरबीआई के बीच सलाह-मशविरा हुआ था

  • नोटबंदी की प्रक्रिया में कोई गड़बड़ी नहीं हुई है

  • इकोनॉमिक पॉलिसीज में बदलाव से जुड़ी सीरीज का सबसे बड़ा कदम 

(नेशनल डेस्क) नोटबंदी पर सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुना दिया है. कोर्ट की संविधान पीठ ने 4:1 बहुमत से केंद्र सरकार के छह साल पहले 500 और 1000 रुपये के नोटों को बंद करने के फैसले को बरकरार रखा है.बेंच ने यह भी कहा कि आर्थिक फैसले को पलटा नहीं जा सकता। संविधान पीठ ने यह फैसला चार-एक के बहुमत से सुनाया।

सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि नोटबंदी से पहले केंद्र और आरबीआई के बीच सलाह-मशविरा हुआ था। इस तरह के उपाय को लाने के लिए दोनों के बीच एक समन्वय था। कोर्ट ने कहा है कि नोटबंदी की प्रक्रिया में कोई गड़बड़ी नहीं हुई है। आरबीआई के पास विमुद्रीकरण लाने की कोई स्वतंत्र शक्ति नहीं है और केंद्र और आरबीआई के बीच परामर्श के बाद यह निर्णय लिया गया।

 5 जजों की बेंच में से जस्टिस नागरत्ना का फ़ैसला अलग है। इस संविधान पीठ की ओर से केवल जस्टिस नागरत्ना ने सरकार के इस फैसले को गलत बताया। उन्होंने अपने जजमेंट में कहा कि नोटबंदी को कानून के जरिए लागू करना चाहिए था नोटिफिकेशन के जरिए नहीं। जस्टिस नागरत्ना ने कहा, विमुद्रीकरण की शुरुआत कानून के विपरीत और गैरकानूनी शक्ति का इस्तेमाल था। इतना ही नहीं यह अधिनियम और अध्यादेश भी गैरकानूनी थे। इसके चलते भारत के लोगों को कठिनाई से गुजरना पड़ा। हालांकि, इसे ध्यान में रखते हुए कि ये फैसला 2016 में हुआ था, ऐसे में इसे बदला नहीं जा सकता।

Supreme Court

मंत्रालय ने कहा कि नोटबंदी जाली मुद्रा, आतंकवाद के वित्तपोषण, काले धन और कर चोरी के खतरे से निपटने के लिए एक बड़ी रणनीति का हिस्सा था। 8 जुलाई को जारी अधिसूचना जाली नोटों के खतरे से लड़ने, बेहिसाब धन के भंडारण और विध्वंसक गतिविधियों के वित्तपोषण के खिलाफ बड़ा कदम था।बता दें कि शीर्ष अदालत ने पिछले साल 7 दिसंबर को सरकार और याचिकाकर्ताओं की दलीलें सुनने के बाद अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। इससे पहले कोर्ट ने केंद्र सरकार और भारतीय रिजर्व बैंक  को निर्देश दिया था कि वे सरकार के 2016 के फैसले से संबंधित रिकॉर्ड दें। मामले में अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणि, आरबीआई के वकील और याचिकाकर्ताओं के वकीलों, वरिष्ठ अधिवक्ता पी चिदंबरम और श्याम दीवान की दलीलें सुनी गईं थी।सुप्रीम कोर्ट में सरकार ने कहा था कि यह जाली करंसी, टेरर फंडिंग, काले धन और कर चोरी जैसी समस्याओं से निपटने की प्लानिंग का हिस्सा और असरदार तरीका था। यह इकोनॉमिक पॉलिसीज में बदलाव से जुड़ी सीरीज का सबसे बड़ा कदम था.

केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि नोटबंदी से नकली नोटों में कमी, डिजिटल लेन-देन में बढ़ोत्तरी, बेहिसाब आय का पता लगाने जैसे कई लाभ हुए हैं। अकेले अक्टूबर 2022 में 730 करोड़ का डिजिटल ट्रांजैक्शन ​​​​​​हुआ, यानी एक महीने 12 लाख करोड़ रुपए का लेन-देन रिकॉर्ड किया गया है। जो 2016 में 1.09 लाख ट्रांजैक्शन, यानी करीब 6,952 करोड़ रुपए था।

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