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सर्दी में लौटेगी इलाहाबादी अमरूद की मिठास, प्रयागराज में माली प्रशिक्षण कार्यक्रम लोगों को दी गई ट्रेनिंग

  • इलाहाबादी अमरूद के अस्तित्व को बचाने में जुटी सरकार

  • माली प्रशिक्षण कार्यक्रम में लोगों को दी गई ट्रेनिंग

  • पिछली सर्दी में गुणवत्ता और पैदावार मे दिखी थी कमी

प्रयागराज: किसानों की आय दोगुनी करने के लिए केंद्र से लेकर प्रदेश सरकार तक अपने-अपने स्तर पर काम कर रही हैं। इन सबके बीच कई राज्य सरकारें ने फलदार वृक्षों की खेती को प्रोत्साहित करने पर भी जोर दे रही हैं। अमरूद की खेती को बढ़ावा देने के लिए सरकार की ओर से किसानों को अनुदान दिया जाता है। अमरूद की खेती करने वाले किसानों को फल का बेहतर दाम मिले, इसके लिए प्रयास किया जा रहा है। इलाहाबादी अमरूद के स्वाद की दीवानी तो पूरी दुनिया है। लेकिन धीरे-धीरे मौसम की मार के चलते ये अपनी पहचान खोने लगा था। इलाहाबादी अमरूद की पैदावार और अस्तित्व बचाने के लिए योगी सरकार के अधिकारी कई विशेष प्रयोग कर रहे है। ऐसे में इस बार उद्यान विभाग का पूरा फोकस अमरूद की पैदावार बढ़ाने पर है। इस मानसून सीजन में लक्ष्य रखा गया है कि अमरूद की पैदावार को बढ़ाया जाएगा।

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इलाहाबादी अमरूद अपनी पहचान खोता जा रहा है। एक दौर था जब विदेशों तक इसकी मांग थी लेकिन अब इसका दायरा सिमट रहा है। जिसको बचाने के लिए औद्यानिक प्रयोग एवं प्रशिक्षण केंद्र खुसरो बाग, प्रयागराज में कौशल विकास एंव उद्यमशीलता मंत्रालय भारत सरकार के सहयोग से एकीकृत बागवानी विकास मिशन योजना के तहत माली प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया गया। जिसमें प्रतिभागियों को बताया गया कि भूमि कैसी भी हो उससे पौधों का उत्पादन किया जाना संभव है। उद्यान विशेषज्ञ वीके सिंह का कहना है कि पिछले साल अमरूद की फसल दो तीन कारणों के चलेत अच्छी नहीं आई थी। फल मक्खी कीड़ों के चलते अमरूद की फसल ज्यादा प्रभावित हुई थी। उत्पादन में बारिश जल्दी होने के चलते बारसात की फसल ज्यादा आ गई थी। जिसके चलते अमरूद की सर्दी की मुख्य फसल प्रभावित हो गई थी। इस बार फल मक्खी के नियंत्रण के लिए काफी प्रयास किया है और बरसात की फसल को भी रोकने का प्रयास किया है। कई सारे प्रयोग औद्यानिक प्रयोग एवं प्रशिक्षण केंद्र खुसरो बाग में भी किया गया है। साथ ही प्रयागराज, कौशाम्बी और फतेहपुर जनपद में भी ऐसे प्रयोग किए गए है।

बता दें कि लोगों को प्रशिक्षित करने का कार्य भी औद्यानिक प्रयोग एवं प्रशिक्षण केंद्र खुसरो बाग प्रयागराज किया जाता है। माली की ट्रेनिंग में भी अमरूद की फसल को विशेष रुप से शामिल किया जाता है। साथ ही जो किसान दूसरे जनपद और प्रदेश से ट्रेनिंग के लिए आते है उनको पूरी तरह से प्रशिक्षित किया जाता है कि बरसात की फसल को कैसे रोका जाए। दूसरा बरसात की फसल को रोकने के लिए जो तरीके अपनाते है उनमें 10 प्रतिशत यूरिया का छिड़काव इलाहाबाद सफेदा या दूसरी प्रजातियों पर करते है। अमरूद की जो एल49 सरदार ग्वावा है उसमें 15 प्रतिशत यूरिया का छिड़काव मई के महीने में किया जाता है। 15 दिन के बाद दोबारा छिड़काव किया जाता है। जिससे की बरसात की फसल जो फूल में होती है वो पूरी तरह से गिर जाती है। जिससे की बरसात की फसल खत्म हो जाती है तो उससे सर्दी की फसल बहुत अच्छी होती है।

उद्यान विशेषज्ञ वीके सिंह का कहना है कि फल मक्खी कीड़ों के नियंत्रण के लिए फेरोमोन ट्रैप ( फ्रूट फ्लाइ ट्रैप) का प्रयोग किया है। उसमें नर कीड़े फस जाते है और उनका निषेचन न होने के कारण उनकी जनसंख्या नियंत्रित हो जाती है। इस तरह के काफी सारे प्रयोग सरकार की मंशा के अनुरुप किया जा रहे है। उद्यान मंत्री दिनेश प्रताप सिंह ने इलाहाबाद अमरूद की पैदावार बढ़ाने के निर्देश दिए है। जिसके चलते अधिकारी गांव-गांव जाकर लोगों को प्रशिक्षित कर अमरूद की खेती के लिए जागरुक कर रहे है। औद्यानिक प्रयोग एवं प्रशिक्षण केंद्र खुसरो बाग प्रयागराज में एक महीने की माली की ट्रेनिंग दी जाती है, जो कि सरकार की निशुल्क प्रशिक्षण कार्यक्रम है। उद्यान विशेषज्ञ का कहना है कि इलाहाबादी अमरूद की मांग पूरे देश के साथ साथ विदेशों तक में है।

प्रयागराज से अखबारवाला.कॉम के लिए सैय्यद आकिब रजा की रिपोर्ट।

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