गुप्त गोदावरी में मिली तीसरी गुफा
पुरातत्व विभाग की टीम करेगी जांच
वनवास के समय ठहरे थे भगवान राम
(उत्तरप्रदेश डेस्क) भगवान राम की तपोभूमि धर्मनगरी चित्रकूट स्थित एमपी क्षेत्र में गुप्त गोदावरी के समीप तीसरी गुफा नजर आने पर प्रशासन छानबीन में जुट गया है। पार्क के बगल में मिली गुफा की लंबाई करीब 25 फीट व चौडाई डेढ़ मीटर बताई जा रही है। एसडीएम मझगवां पीएस त्रिपाठी ने कई अधिकारियों के साथ पहुंचकर गुफा का जायजा लिया है। अंधेरे की वजह से अधिकारी आधी दूरी तक ही पहुंचे है।
एसडीएम गुफा में करीब 20 फीट तक भीतर गए. गुफा गुप्त गोदावरी पहाड़ी पर शुरुआती चढ़ाई पर ही है, जिसका मुहाना संकरा है. एसडीएम पीएस त्रिपाठी ने बताया कि गुप्त गोदावरी से 200 मीटर की दूरी पर वन विभाग का पार्क है.उसके आगे ही ये गुफा है. गुफा से एक किलोमीटर दूर टेढ़ी पतमनिया गांव की बसाहट है.
अधिकारियों के अनुसार, पुरातत्व विभाग की टीम ही गुफा के बारे में सही से पता लगा पाएगी. यह इलाका धार्मिक रहा है. पहले भी इस क्षेत्र में दो गुफाएं मिल चुकी हैं. बता दें कि हिंदू धर्म ग्रंथों में चित्रकूट का कई बार उल्लेख नजर आता है. हिंदू धर्म ग्रंथों में इस बात का जिक्र है कि जब राजा दशरथ ने भगवान राम को वनवास दिया था तो राम अपनी पत्नी सीता और भाई लक्ष्मण के साथ यहां आए थे. इस दौरान भगवान राम ने काफी समय यहां पर गुजारा. वहीं, राम के छोटे भाई भरत भी यहां आए थे.
बता दें, इस गुफा से कुछ दूरी पर श्रीराम वनवास काल का गुप्त गोदावरी पौराणिक स्थल है। माना जाता है यहीं माता गोदावरी गुप्त रूप से भगवान राम के दर्शन के लिए प्रकट हुई थीं। चित्रकूट के बाहरी इलाके में स्थित गुप्त गोदावरी के गुफा मंदिर में दो पर्वतीय गुफाएं हैं। इन गुफाओं में घुटने तक पानी रहता है। माना जाता है कि यह पानी भूमिगत गोदावरी नदी से जुड़ा है। माना जाता है कि भगवान राम और लक्ष्मण वनवास के दौरान कुछ समय के लिए यहां रुके थे। उस समय, भगवान राम से मिलने के लिए कई देवताओं सहित माता गोदावरी गुप्त रूप से इन गुफाओं में उनके दर्शन करने आई थीं।
इस गुफा के दो साल पहले एक रहस्यमयी गुफा मिली थी। यह स्थान प्रख्यात तीर्थ स्थान गुप्त गोदावरी से करीब एक किलोमीटर की दूरी स्थित है। सड़क निर्माण के दौरान पत्थर हटाने पर यह गुफा मिली थी। मध्य प्रदेश के चित्रकूट के नायब तहसीलदार ने गुफा का निरीक्षण कर द्वार बंद करा दिया है। इसकी जानकारी पुरातत्व विभाग को भेजी गई थी।