ज्ञानवापी मामले में सुनावाई आज
शिवलिंग की कार्बन डेटिंग पर आ सकता है फैसला
शिवलिंग की जांच को लेकर हिंदू पक्ष दो धड़ में बंटा
वाराणसी: ज्ञानवापी-मां श्रृंगार गौरी केस में सुनवाई का सिलसिला लगातार जारी है। इस क्रम में आज परिसर में स्थित कथित शिवलिंग की कार्बन डेटिंग पर जिला जज की अदालत बड़ा फैसला सुना सकती है। शिवलिंग की लंबाई, चौड़ाई, गहराई और आसपास के क्षेत्र की कार्बन डेटिंग होगी या नहीं, इसी मामले पर आज डिस्ट्रिक्ट जज एके विश्वेश फैसला सुना सकते हैं। दरअसल याचिकाकर्ताओं ने वैज्ञानिक जांच याचिका दायर की थी, जिसमें कहा गया था कि शिवलिंग की कार्बन डेटिंग करना आवश्यक है। महिलाओं ने अपनी याचिका में कहा कि इस तरह की जांच में कार्बन डेटिंग प्रक्रिया शामिल हो सकती है और इसे एक सरकारी निकाय भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण द्वारा किया जा सकता है।
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हालांकि, पांच हिंदू महिलाओं में से एक ने चार अन्य महिलाओं द्वारा वैज्ञानिक जांच याचिका पर आपत्ति जताते हुए कहा था कि कार्बन डेटिंग सहित कोई भी परीक्षण ‘शिवलिंग’ को नुकसान पहुंचा सकता है। वहीं दूसरी ओर मस्जिद समिति ने वैज्ञानिक जांच याचिका पर आपत्ति जताते हुए कहा था कि हिंदू महिलाओं का मामला मस्जिद के अंदर एक दरगाह पर पूजा करने का है और इसका इसकी संरचना से कोई लेना-देना नहीं है। मस्जिद समिति ने कहा कि, जिस वस्तु को शिवलिंग कहा जा रहा है वह वास्तव में एक फव्वारा है।
बता दें कि 12 सितंबर को वाराणसी के जिला न्यायाधीश ने मस्जिद समिति की उस चुनौती को खारिज कर दिया। जिसमें कहा गया था कि हिंदू महिलाओं द्वारा मस्जिद परिसर के अंदर साल भर पूजा करने के मामले का कोई कानूनी आधार नहीं है। उनकी चुनौती को उन तीनों मामलों में खारिज कर दिया गया जिनका उन्होंने हवाला दिया था। दरअसल, इस साल की शुरुआत में वाराणसी की एक निचली अदालत ने महिलाओं की याचिका के आधार पर ज्ञानवारी मस्जिद की वीडियोग्राफी का आदेश दिया था। हिंदू याचिकाकर्ताओं द्वारा विवादास्पद रूप से लीक की गई वीडियोग्राफी रिपोर्ट में दावा किया गया था कि मुस्लिम प्रार्थनाओं से पहले वजू या शुद्धिकरण अनुष्ठान के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले मस्जिद परिसर के भीतर एक तालाब में भगवान शिव का एक शिवलिंग या अवशेष पाया गया था।
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