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Up Nikay Chunav 2023: उपचुनाव में भी निर्दल के नाम ही रहा, अब इनपर सबकी निगाहें

  • सोनभद्र की इन नगर पंचायतों में मोदी लहर के दौरान भी जीते थे निर्दलीय

  • उपचुनाव में भी निर्दल के नाम ही रही बाजी 

  • घोरावल नगर पंचायत में कुछ यह रहा है पूर्व के चुनावों का समीकरण

Up Nikay Chunav 2023: यूपी के आखिरी छोर पर बसे सोनभद्र में कुछ ऐसी नगर पंचायतें हैं, जहां निकाय चुनाव में कुछ अलग ही हवा बहती नजर आती है। हॉट सीट में शुमार चोपन और घोरावल ऐसी नगर पंचायतों में हैं, जहां हुए पूर्व के चुनाव में ज्यादातर जीत का आंकड़ा विधानसभा और लोकसभा चुनाव में परचम लहराने वाली पार्टियों की बजाए निर्दलियों और सत्ता विरोधी दलों के पक्ष में खड़ा नजर आया है। हालांकि एक के बाद एक मिथक तोड़ रही भाजपा इस बार इन दोनों सीटों पर पूरे दमखम से चुनावी लड़ाई में जुटी हुई है। ऐसे में विधानसभा चुनाव में इतिहास रचने वाली बीजेपी निकाय चुनाव में वर्षों से चले आ रहे इस मिथक में तोड़ने में कामयाब रहेगी या नहीं? इस पर हर किसी की निगाहें टिकी हुई हैं।

चोपन नगर पंचायत में हुए अब तक के चुनावों पर नजर डालें तो वर्ष 1988 में जब यूपी में कांग्रेस की सरकार थी। तब यहां के पहले चेयरमैन भाजपा के सुरेश चंद्र गोयल चुने गए थे। वर्ष 1995 में सपा-बसपा गठबंधन के समय यहां निर्दल उम्मीदवार माधुरी देवी को जीत हासिल हुई थी। 2000 में भाजपा सरकार के समय भी जीत निर्दल उम्मीदवार के नाम रही। विजय अग्रहरी ने भाजपा प्रत्याशी सुरेश गोयल को हराकर चेयरमैन की कुर्सी पर कब्जा जमाया था। वर्ष 2006 में जब सपा की सरकार थी। तब यहां भाजपा की शशि गोयल चेयरमैन निर्वाचित होने में कामयाब रहीं। वर्ष 2012 में सपा सरकार के समय और 2017 में भाजपा सरकार के समय इम्तियाज अहमद बतौर निर्दल उम्मीदवार लगातार दो बार चेयरमैन निर्वाचित होने में कामयाब रहे।

उपचुनाव में भी निर्दल के नाम ही रही बाजी 

इम्तियाज की हत्या के बाद 2019 में हुए उपचुनाव में भी बाजी निर्दल के नाम रही। इस चुनाव में इम्तियाज की पत्नी फरीदा बेगम चेयरमैन निर्वाचित हुई। अब 2023 के निकाय चुनाव समर में एक बार फिर से इम्तियाज खेमे से उनके भाई उस्मान अली चुनावी मैदान में हैं लेकिन इस बार वह निर्दल नहीं बल्कि भाजपा के सहयोगी निषाद पार्टी से चुनाव मैदान में है। ऐसे में इम्तियाज खेमे का जीत का सिलसिला बरकरार रहेगा? क्या भाजपा, सहयोगी गठबंधन के जरिए, चोपन में सत्ता विरोधी बयार का मिथक तोड़ पाएगी? इस पर सभी की निगाहें टिकी हुई हैं।

वर्ष 1995 में टाउन एरिया से नगर पंचायत का दर्जा हासिल करने वाली घोरावल नगर पंचायत से चेयरमैन पद पर भाजपा के गोविंद दास उमर को जीत मिली। उन्होंने सपा के शिवब्रत लाल श्रीवास्तव को हराकर जीत हासिल की। वर्ष 2000 में जब भाजपा की सरकार थी, तब पिछले बार के चुनाव में हारे उम्मीदवार शिवब्रत लाल श्रीवास्तव की पत्नी उर्मिला देवी ने भाजपा नेता राकेश कुमार उमर की मां राधादेवी उमर को पराजित कर घोरावल नगर पंचायत की पहली महिला अध्यक्ष निर्वाचित होने में कामयाबी हासिल की। वर्ष 2006 में जब सपा की सरकार थी, तब यहां भाजपा के राकेश कुमार उमर ने सपा के शिवव्रत लाल श्रीवास्तव को हराकर चेयरमैन पद पर कब्जा जमाया। वर्ष 2012 के चुनाव में संजय जायसवाल को जीत मिली। उन्होंने सपा उम्मीदवार को हराकर जीत हासिल की। वर्ष 2017 के निकाय चुनाव के समय, जब सूबे में भाजपा की प्रचंड बहुमत वाली सरकार थी, तब यहां जीत निर्दल उम्मीदवार राजेश कुमार उमर के नाम रही थी। इस बार भाजपा ने यहां पिछली बार निर्दल चुनाव जीतने वाले राजेश को ही उम्मीदवार बनाया है। ऐसे में राजेश अपनी जीत का सिलसिला बरकरार रख पाते हैं कि नहीं, भाजपा यहां भी निकाय चुनाव को लेकर अब तक के मिथक को तोड़ पाती है कि नहीं, इसकी चर्चाएं बनी हुई हैं।

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