- नेशनल आर्काइव्स म्यूजियम के कार्यक्रम में ट्रंप का बड़ा बयान
- स्कूलों में हो राष्ट्रवाद की पढ़ाई
- कल्चरल वॉर ही खोलेगा जीत के द्वार
नेशनल डेस्क : अमेरिकी राष्ट्रपति ने शुक्रवार को नेशनल आर्काइव्स म्यूजियम में एक कार्यक्रम को संबोधित किया।ट्रंप ने संबोधन के दौरान खुद को अमेरिकी विरासत का रक्षक बताया। इसके बाद राष्ट्रपति ने कुछ ऐसा कहा कि चुनाव का मुद्दा ही बदल गया। जी हाँ, ट्रम्प अब चुनाव में राष्ट्रवाद का रंग ले आए हैं। उन्होंने कहा कि दोबारा सत्ता में आने के बाद स्कूलों में राष्ट्र प्रेम और राष्ट्रवाद को सिलेबस में शामिल करेंगे। ट्रम्प ने आगे वामपंथी विचारधारा पर निशाना साधते हुए कहा- देश के स्कूलों में अब पढ़ाई के दौरान अमेरिकी विचारधारा को करेंगे शामिल।
अमेरिकी राष्ट्रपति ने कहा, “मैं उन बातों को अमेरिकी स्कूलों तक नहीं पहुंचने दूँगा, जो अमेरिका को नस्लवादी समाज के तौर पर पेश करती हैं। एक कमीशन बनाउँगा, जो राष्ट्रवादी शिक्षा को स्कूलों तक पहुँचाएगा। अमेरिका में बीते कुछ महीनों में नस्लीय हिंसा हुई। इस दौरान ऐतिहासिक स्थलों और मूर्तियों को नुकसान पहुँचाया गया।”
इसके बाद ट्रंप ने कहा “हम नेशनल हीरोज को नहीं भूल सकते। अपने युवाओं को अमेरिका से प्यार करना सिखाएंगे।” बता दें कि ट्रंप कई बार अपने बयानों में राष्ट्रवाद का ज़िक्र कर चुके हैं। लेकिन जिस मुद्दे पर विपक्षी उन पर लगातार हमलावर रहा है यानी ‘कोरोनावायरस की रोकथाम’ को लेकर। उस मुद्दे का राष्ट्रपति नें अपने संबोधन में कहीं ज़िक्र ही नहीं किया।
डोनाल्ड ट्रंप अपने बयानों में वामपंथी या मार्क्सवादी विचारधारा पर निशाना साधते रहते हैं। पिछले दिनों भी ट्रंप ने विपक्ष को आड़े हाथों लेते हुए कहा था, “हाल के दिनों में आपने जो हिंसा देखी, वो दशकों से चली आ रही वामपंथी विचारधारा का नतीजा है, और ये हमारे स्कूलों में पढ़ाई जाती रही है। अब वक्त है कि हम स्कूलों में अपने देश के महान इतिहास के बारे में पढ़ाएं, युवाओं को इस बारे में जानकारी दें।”
जीत के लिए कल्चरल वॉर को ट्रंप बना रहे ज़रिया
ट्रंप के इस बयान को लेकर राइस यूनिवर्सिटी में इतिहास के प्रोफेसर डगलस ब्रिंक्ले का कहना हैं कि “अमेरिकी स्कूलों में नागरिक अधिकारों और इतिहास के बारे में जो पढ़ाया जाता रहा है, ट्रम्प उसे बदलना चाहते हैं। वे कल्चरल वॉर के जरिए जीत का रास्ता तलाश रहे हैं। एक तरह से वे श्वेतों की वकालत कर रहे हैं। अश्वेत और हिस्पैनिक समुदाय के योगदान का ट्रम्प कई मौकों पर जिक्र तक नहीं करते।”