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वरुण गांधी ने की अखिलेश यादव की तारीफ,बोले-अखिलेश यादव ने दिखाया बड़ा मन

  • वरुण गांधी ने अखिलेश यादव की तारीफ की

  • नेहरू से खुद की तुलना की

  • भाजपा का दामन छोड़ किसी अन्य दल में शामिल हो सकते है

(उत्तरप्रदेश डेस्क) पिछले कुछ समय से अपनी ही पार्टी के खिलाफ बयानबाजी को लेकर पीलीभीत से भाजपा सांसद वरुण गांधी मीडिया की सुर्खियों में बने हुए हैं।पार्टी विरोधी बयान बाजी को लेकर सियासी गलियारों में ऐसी चर्चा है कि वरुण गांधी भाजपा का दामन छोड़ किसी अन्य दल में शामिल हो सकते है।इस बार उनकी चर्चा समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव की तारीफ करने पर हो रही है। यह तारीफ भी उन्होंने ठीक उसी वक्त की, जब कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने अपने चचेरे भाई वरुण की विचारधारा को ही स्वीकार करने से नकार दिया है।

भाजपा सरकार पर लगातार हमलावर रहे वरुण नए सियासी विकल्पों की तलाश में हैं। ऐसे में राजनीतिक गलियारों में उनके इस बयान के निहितार्थ तलाशे जा रहे हैं। इससे पहले वरुण गांधी और प्रियंका गांधी की नजदीकियों के आधार पर उनके कांग्रेस में जाने की चर्चाएं तेज हुई थी।

बीजेपी सांसद ने कहा, “मैंने पूरा उत्तर प्रदेश घूमा है क्योंकि अकसर अखबरों में लेख लिखते रहता हूं. आपने पढ़े भी होंगे. मैंने एक दिन सोचा कि वो कौन से आर्थिक मानक हैं. जिसके अंतर्गत एक किसान या फिर आम आदमी आ जाए. आखिर क्यों वो आत्महत्या करने पर मजबूर होता है. उस समय शायद अखिलेश यादव मुख्यमंत्री थे. मैंने उनको एक चिट्ठी लिखी थी. मैंने कहा था कि मान्यवर इसमें कोई राजनीति नहीं है.”

वरुण गांधी ने कहा, “लेकिन अगर मुझे प्रशासन से जानकारी मिल जाए कि पूरे उत्तर प्रदेश में कितने लोग हर जिले में इस मानक के अंतर्गत आएं. उन्होंने बड़ा मन दिखाकर सारे अधिकारियों को बोला कि इसमें कोई राजनीति नहीं है. इनकी मदद करिए, ये कुछ करना चाहते हैं. जिसके बाद हमने करीब 42 हजार लोगों की सूची पाई. उसके बाद मैंने सोचा कि इतना बड़ा काम शायद मैं अकेले नहीं कर पाऊंगा. तब मैंने सोचा कि ये काम कैसे हमलोग करत सकते हैं.”

यूपी के गुलड़िया भूपसिंह गांव में कार्यक्रम के दौरान वरुण गांधी ने कहा कि जब वो पहली बार सांसद बने तो उन्हें वेतन के रूप में एक लाख रुपये का चेक मिला था. इस पर उन्होंने लोकसभा अध्यक्ष से पूछा था कि ये किस चीज के लिए है? इस पर उन्हें जवाब मिला था कि ये उनका वेतन है. वरुण गांधी ने कहा था कि क्या कोई सेवा के लिए भी वेतन लेता है. इसके बाद वरुण गांधी ने पैसे लेने से इनकार कर दिया था. हालांकि, लोकसभा अध्यक्ष ने कहा कि वेतन लौटाने की कोई व्यवस्था नहीं है. इस पर वरुण गांधी ने उस समय के प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से मुलाकात की और पूरी बात बताई. इस पर मनमोहन सिंह ने उनसे कहा कि जब नेहरू पहली बार प्रधानमंत्री बने थे तो उन्होंने भी गाड़ी, बंगला और वेतन लेने से इनकार कर दिया था.

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