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Nag Panchami 2022: क्यों है आज नागों के पूजन का विशेष महत्व

  • शिव भक्त आज नाग पंचमी की पूजा करते है

  • नाग या साप को दूध लावा चढ़ाया जाता

  • साँपों को गाय के गोबर के गंध से तकलीफ

Nag Panchami 2022: सनातन धर्म के अनुसार 33 कोटि देवी -देवताओं में नाग की पूजा का विधान है। नाग पूजन कभी भी किया जा सकता है। शास्त्रों के अनुसार नाग पूजन से नाग योनि के राजा तो प्रसन्न होते ही है साथ ही भगवान् शिव भी प्रसन्न होते हैं क्योंकि नाग भगवान् शिव का आभूषण है। इन दोनों की प्रसन्नता से विष योग का प्रभाव कम हो जाता है। साथ ही अगर कुंडली में विष योग है या कुंडली में विष से मृत्यु का योग है तो उसमें भी कमी आती है।

श्रावण मास के शुक्ल पक्ष को पड़ने वाली पंचमी पर विशेष तौर पर नाग पंचमी की पूजा करते हैं। जी इस वर्ष मंगलवार 2 अगस्त को पड़ रहा है। इसमें विधान है कि खेतों में जाकर दूध और लावा चढ़ाया जाता है। घर में तो हम पूजा करते ही हैं लेकिन ख़ास तौर जंगलों या खेतों में जहां सांप होते है वहां जाकर पूजन करनी चाहिए। घर में पूजन करके हम ईश्वर की कृपा प्राप्त करते हैं और जब हम खेतों में दूध -लावा देते हैं या छिड़काव करते हैं तो उस दूध लावा को सर्प खाने आते हैं ऐसे में नागपंचमी के दिन साँपों का दर्शन हो जाना बेहद शुभ माना गया है।

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार किसी के भी दर्शन का महत्त्व बताया गया है। नाग पंचमी के दिन नागों का दर्शन हिन्दू पौराणिक आस्था के अनुसार बेहद शुभ माना जाता है। धार्मिक पुस्तकों में इसलिए लिखा गया की हम सौ वर्षों तक केवल शुभ चीज़ों का ही दर्शन करें। हालाँकि नाग एक विषैला प्राणी है जिसके जहर से व्यक्ति की मृत्यु भी हो जाती है। लेकिन इनके दर्शन मात्रा से व्यक्ति के अंदर जो ऊर्जा संचारित होती है वो काफी सकारात्मक होती है। यहाँ तक ये ऊर्जा सापों के दंश के प्रभाव को भी कम करने में कारगर साबित होती है।

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार जब नागों या सापों को दूध लावा चढ़ाया जाता है तो उसके साथ व्यक्ति के हाथों की गंध भी सापों तक पहुँच जाती है। उस गंध के कारण भी व्यक्ति के ऊपर प्रभाव जाता है। इसके पीछे एक वैज्ञानिक कारण ये भी है कि दूध लावा खाने से सांप हिष्ट -पुष्ट या कहें स्वस्थ होते हैं फिर जब वे खेत में आते हैं वहां खेतों को बर्बाद करने वाले चूहों का सफाया भी हो जाता है। जिससे फसल सुरक्षित रहती है। ख़ास कर सावन के महीने में जब अत्यधिक बारिश होती है तो सांप अपने बिल में ज्यादा पानी भर जाने के कारण बाहर आते है ऐसे में वे घरों में घुसकर भी लोगों को नुक्सान पंहुचा सकते हैं।

साँपों को गाय के गोबर के गंध से तकलीफ

घरों में भी सापों के दुष्प्रभाव से बचने के लिए गाय के गोबर से घर के चरों तरफ घेरा बना दिया जाता है। ताकि सांप घर में प्रवेश ना कर सकें। हालाँकि नाग पंचमी में ये कार्य एक धार्मिक परंपरा के रूप में निभाई जाती है लेकिन इसके पीछे वैज्ञानिक कारण भी है। क्योंकि कब घरों की दीवारों पर गाय के गोबर का लेप चढ़ा होता है तो वो इसके महक से घर में किसी भी दिशा से प्रवेश नहीं कर पाता है। और वो लौट जाता है। इसलिए मान्यताओं के अनुसार सावन की पंचमी बारिश के मौसम में पड़ती है। बता दें कि सापों को गाय के गोबर के गंध से तकलीफ होती है और वो उस जगह प्रवेश नहीं कर सकता है।

शिव की आराधना नागों के बिना अधूरी 

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार नाग को भगवान् शिव का आभूषण माना जाता है। कहा जाता है कि भगवान् शिव की आराधना नागों के बिना अधूरी हैं। शायद ही इस धरती पर ऐसा कोई शिव लिंग होगा जिसमें नाग का चिन्ह अंकित ना हो या नाग उस पर फन काढ़कर ना बैठा हो। हिन्दू धर्म में नागों को देवता की उपाधि दी गयी है। इस लिए नाग पंचमी के दिन सभी लोगों को नागों की पूजा अवश्य करनी चाहिए। ख़ास कर उनलोगों को जिनकी कुंडली में काल सर्पदोष है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन नागों की पूजा करने से व्यक्ति की कुंडली में कल सर्प दोष का प्रभाव काफी कम हो जाता है।

कट जाते हैं पिछले जन्म के पाप 

नाग पंचमी के दिन शिव पूजन के साथ नागों की पूजा करकरने के बाद अपनी हर गलती के लिए ईश्वर से माफ़ी मांगने से व्यक्ति के पिछले जन्म के सभी पाप कट जाते हैं।

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