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दिल्ली विश्व पुस्तक मेले में बाइबल की मुफ्त प्रतियाँ बाँटने का विरोध क्यों

  • बाइबल की प्रतियों के मुफ्त वितरण के ख़िलाफ़ विरोध

  • ईसाई संगठन के स्टॉल पर हुआ यह घटनाक्रम

  • सोशल मीडिया पर वायरल हुआ तो हुई तीखी प्रतिक्रिया 

दिल्ली डेस्‍क: दिल्ली विश्व पुस्तक मेला यानी एनडीडब्ल्यूबीएफ में लोगों के एक समूह ने कथित तौर पर बाइबल की प्रतियों के मुफ्त वितरण के ख़िलाफ़ विरोध जताया। एक ईसाई संगठन के स्टॉल पर यह घटनाक्रम हुआ। सोशल मीडिया पर वायरल हुए एक वीडियो में प्रदर्शन करने वालों को धार्मिक नारे लगाते और हंगामा करते देखा और सुना जा सकता है। जब इस घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ तो तीखी प्रतिक्रिया हुई। ट्विटर पर एक यूज़र ने लिखा है कि गीता, क़ुरान, बाइबल इंसानियत सिखाती है! क्या फ़ायदा हमारे गीता, क़ुरान, बाइबल पढ़ने का अगर हम में इंसानियत ही नहीं है।

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प्रगति मैदान में बुधवार को हुई इस घटना का एक कथित वीडियो सोशल मीडिया पर साझा किया गया था। उसमें कुछ लोग धार्मिक नारे लगाते हुए और एक ईसाई संगठन गिडियन्स इंटरनेशनल द्वारा चलाए जा रहे स्टॉल पर मुफ्त बाइबल के वितरण को रोकने की मांग करते दिख रहे हैं। एक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार पुलिस ने कहा कि इस मामले में न तो पुस्तक मेले के आयोजकों ने और न ही गिडियन्स इंटरनेशनल ने कोई शिकायत दर्ज कराई है।

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एक पुलिस अधिकारी ने कहा, “विरोध में किसी तरह की हिंसा की सूचना नहीं है और न ही कोई किताब फाड़ी गई है।” Gideons International की ओर से तत्काल कोई टिप्पणी नहीं की गई, जो कि इसकी वेबसाइट के अनुसार, 1899 में स्थापित एक इवेनजेलिकल क्रिश्चियन एसोसिएशन है, जिसकी प्राथमिक गतिविधि बाइबिल की प्रतियां मुफ्त में वितरित करना है। वीडियो में विरोध करने वाले सदस्यों में से एक ने ‘हिंदू संयुक्त मोर्चा’ के दिल्ली प्रमुख होने का दावा किया है। लोगों को उसके साथ बहस करते हुए और संविधान और उसके तहत निहित अधिकारों की बात करते हुए दिखाया गया है।

नई दिल्ली विश्व पुस्तक मेला लगभग सभी विधाओं की पुस्तकों का घर है। यह धार्मिक और आध्यात्मिक पुस्तकों की बिक्री के लिए कई स्टॉलों की मेजबानी कर रहा है, जिनमें से कुछ धार्मिक ग्रंथों की प्रतियां मुफ्त में भी वितरित करते हैं। हिंदू दक्षिणपंथी संगठन विश्व हिंदू परिषद (VHP) ने हालांकि, विरोध में अपनी भागीदारी से इनकार करते हुए, ईसाई समूहों और मिशनरियों पर “हिंदुओं को फंसाने” का आरोप लगाया। वीएचपी के प्रवक्ता विनोद बंसल ने कहा, “विरोध करने वाले सदस्य हमसे सीधे तौर पर संबंधित नहीं थे। मुफ्त किताबें बांटना या न देना मामला नहीं है … यह मूल रूप से मानसिकता का सवाल है।” नई दिल्ली विश्व पुस्तक मेला दो साल के कोविड के बाद आधिकारिक तौर पर 25 फरवरी को शुरू हुआ और 5 मार्च को बंद हो जाएगा।

वीडियो में एक दक्षिणपंथी समूह के लोगों को बहस करते हुए और संविधान और उसके तहत निहित अधिकारों की बात करते हुए देखा जा सकता है। जब यह मामला सोशल मीडिया पर आया तो कई लोगों ने धार्मिक ग्रंथों के बाँटे जाने के विरोध की आलोचना की। ऐसे लोगों में फिल्मकार और पत्रकार विनोद कापड़ी भी शामिल हैं। उन्होंने अपना एक वीडियो बयान ट्वीट करते हुए लिखा, ‘अब तो मैं बाइबल को सहेज कर भी रखूँगा और पढ़ूँगा भी, आत्मसात् भी करूँगा। अन्य धर्म के विरूद्ध तुम्हारी गुंडागर्दी मेरा सनातन नहीं है।

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