भारत के संविधान के अनुच्छेद 14 का उल्लंघन
महिला किसी की जागीर नहीं है
कोर्ट ने बताया- मनमाना और भेदभावपूर्ण
(नेशनल डेस्क) सुप्रीम कोर्ट शुक्रवार को सिक्किम की एक महिला को आयकर अधिनियम के तहत छूट से बाहर रखे जाने के मामले पर सुनवाई कर रही थी। सुनवाई के दौरान कोर्ट ने बेहद तल्ख टिप्पणी की है। सिक्किम की महिला को आयकर अधिनियम के तहत छूट से बाहर रखे जाने को कोर्ट ने शुक्रवार को ‘‘भेदभावपूर्ण और असंवैधानिक’’ बताया। कोर्ट ने कहा, “क्योंकि महिला ने 1 अप्रैल, 2008 के बाद एक गैर-सिक्किम व्यक्ति से शादी की थी, महज इसलिए उसे आयकर अधिनियम के तहत छूट से बाहर रखा जाए, ये भेदभावपूर्ण और असंवैधानिक है।”
पीठ ने कहा, ‘इसके अलावा, यह कदम स्पष्ट रूप से भारत के संविधान के अनुच्छेद 14, 15 और 21 से प्रभावित है. भेदभाव लैंगिक आधार पर है, जो भारत के संविधान के अनुच्छेद 14, 15 और 21 का पूर्ण उल्लंघन है.’ पीठ ने कहा, ‘इस बात पर गौर किया जाना चाहिए कि सिक्किम के किसी व्यक्ति के लिए यह अपात्र होने का आधार नहीं हो सकता कि यदि वह एक अप्रैल, 2008 के बाद एक गैर-सिक्किम व्यक्ति से शादी करता है.’
जस्टिस नागरत्ना ने अपने अलग फैसले में कहा कि भारत संघ आईटी अधिनियम, 1961 की धारा 10 (26एएए) की व्याख्या में संशोधन करेगा, ताकि 26 अप्रैल, 1975 को या उससे पहले सिक्किम में अधिवासित सभी भारतीय नागरिकों को आयकर के भुगतान से छूट का विस्तार करने के लिए उपयुक्त रूप से एक खंड शामिल किया जा सके. इस तरह के निर्देश का कारण स्पष्टीकरण को असंवैधानिकता से बचाना और मामले के तथ्यों और परिस्थितियों में समानता सुनिश्चित करना है.
अनुच्छेद 14 कानून के समक्ष समानता से संबंधित है, जबकि अनुच्छेद 15 धर्म, जाति, जाति, लिंग या जन्म स्थान के आधार पर भेदभाव को रोकने के लिए है, और अनुच्छेद 21 के तहत जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता के अधिकार का प्रावधान है. शीर्ष अदालत ने यह फैसला एसोसिएशन ऑफ ओल्ड सेटलर्स ऑफ सिक्किम और अन्य द्वारा आयकर अधिनियम, 1961 की धारा 10 (26एएए) को रद्द करने के अनुरोध संबंधी याचिका पर दिया.