बोम्मई ने महाराष्ट्र के प्रस्ताव की कड़ी निंदा की
महाराष्ट्र के प्रस्ताव को बताया गैर-जिम्मेदाराना
बोम्मई ने हमें भड़काकर बांटने की कोशिश कर रहे हैं
एक इंच भी जमीन महाराष्ट्र को नहीं देंगे
(नेशनल डेस्क) कर्नाटक और महाराष्ट्र के बीच चल रहें अंतरराज्यीय सीमा विवाद आज भी बना हैं.महाराष्ट्र विधानसभा में कर्नाटक से चल रहे सीमा विवाद को लेकर पास किए प्रस्ताव की ने आलोचना की है. उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र के राजनेता ऐसी चीजें कर रहे हैं क्योंकि सुप्रीम कोर्ट के समक्ष लंबित उनका मामला बहुत कमजोर है, ”वे हमें भड़काकर बांटने की कोशिश कर रहे हैं. हम इसकी निंदा करते हैं.” राज्य पुनर्गठन एक्ट 1956 में पास किया गया. तब से ही दोनों राज्यों के लोग मिलकर सद्भाव से रह रहे हैं.
बोम्मई ने मीडियाकर्मियों से बात करते हुए कहा, कर्नाटक अपने रुख पर दृढ़ और स्पष्ट है कि वह एक इंच भी जमीन नहीं छोड़ेगा। उन्होंने कहा कि उनकी सरकार सीमा के दूसरी तरफ के कन्नड़ भाषियों के हितों की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध है। मुख्यमंत्री ने कहा, हमारे और उनके प्रस्ताव के बीच अंतर देखें। हम कह रहे हैं कि हम अपनी जमीन नहीं दें, जबकि वे हमारी जमीन लेना चाहते हैं। जब मामला सुप्रीम कोर्ट में है तो ऐसी बातों का कोई मतलब नहीं है। हमन न्याय मिलने को लेकर आश्वस्त हैं, क्योंकि हमारा रुख संवैधानिक और कानूनी दोनों है।
आपकों बता दें महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने मंगलवार को सीमावर्ती इलाकों को लेकर कर्नाटक के साथ राज्य के विवाद पर राज्य विधानसभा में एक प्रस्ताव पेश किया है.प्रस्ताव में कहा गया है, राज्य सरकार कर्नाटक में 865 मराठी भाषी गांवों और बेलगाम, कारवार, बीदर, निपाणी और भाल्की शहरों की एक-एक इंच जमीन अपने में शामिल करने के मामले पर उच्चतम न्यायालय में कानूनी रूप से आगे बढ़ेगी.
वहीं, दूसरी ओर, भाजपा की महाराष्ट्र इकाई के प्रमुख चंद्रशेखर बावनकुले ने कहा, सीमा विवाद पर विधानमंडल द्वारा प्रस्ताव पारित किए जाने से पूरा राज्य खुश है और उन्हें भरोसा है कि कर्नाटक को कोई भूमि नहीं दी जाएगी। इससे पहले दिन में मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने विधानमंडल के दोनों सदनों में एक प्रस्ताव पेश किया, जिसमें कहा गया है कि सीमावर्ती इलाके में 865 मराठी भाषी गांवों को महाराष्ट्र में शामिल करने के लिए राज्य कानूनी उपाय का सहारा लेगी। ये गांव फिलहाल कर्नाटक का हिस्सा हैं। बावनकुले ने कहा, पूरे महाराष्ट्र ने शिंदे-फडणवीस सरकार द्वारा लाये गये प्रस्ताव का समर्थन किया है और खुशी जाहिर की है। उन्होंने कहा, मुझे विश्वास है कि सरकार एक इंच भी जमीन नहीं छोड़ेगी।
महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने मंगलवार को कहा कि राज्य सरकार को उच्चतम न्यायालय से अनुरोध करना चाहिए कि जब तक महाराष्ट्र-कर्नाटक के बीच सीमा का मसला उसके पास लंबित है, तब तक सभी विवादित क्षेत्रों को केंद्र शासित प्रदेश घोषित कर दिया जाए.
कर्नाटक कांग्रेस के अध्यक्ष डीके शिवकुमार ने महाराष्ट्र विधानसभा के प्रस्ताव की निंदा की और इसे राजनीतिक नौटंकी बताया. उन्होंने कहा “राज्यों और केंद्र दोनों में भारतीय जनता पार्टी की सरकार है. प्रस्ताव पारित करने की कोई आवश्यकता नहीं थी. यह चुनावों के कारण किया गया है.