Breaking News
रवि प्रदोष व्रत के दिन करें भगवान शिव की पूजा, होगी हर मनोकामना पूरी

रवि प्रदोष व्रत के दिन करें भगवान शिव की पूजा, होगी हर मनोकामना पूरी

  • रवि प्रदोष व्रत आने वाली 12 जून को होगी।

  • जानें शुभ मुहूर्त और पूजन विधि

  • ॐ नमः शिवाय के मंत्र का करे जाप

धर्म डेस्क: 12 जून को ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष के दिन रविवार है और इसी वजह से इसे रवि प्रदोष व्रत कहा जा रहा है। ऐसा कहा जाता है कि भगवान शिव व सूर्य देव की इस दिन एक साथ कृपा मिल जाती है। यदि इस दिन कोई बजी भक्त सच्चे मन से सूर्यदेव की आराधना करता है तो उसकी हर मनोकामना पूरी होती है। आइए आपको रवि प्रदोष व्रत की महिमा और शुभ मुहूर्त के बारे में बताते हैं.

यह भी पढ़े, लकी मानी जाती है वे महिलाएं जिनके तलवे में होता है त्रिशूल का निशान

रवि प्रदोष व्रत की महिमा

प्रदोष व्रत भगवान शिव की महाकृपा पाने का दिन है। यह व्रत रविवार के दिन पड़ता है इसी वजह से इसे प्रदोष व्रत कहा जाता है। रवि प्रदोष व्रत से मनोकामना पूरी की जा सकती है. दोनों पक्षों की त्रयोदशी तिथि को प्रदोष व्रत किया जाता है. प्रदोष व्रत में भगवान शिव की पूजा सूर्यास्त से 45 मिनट पूर्व और सूर्यास्त के 45 मिनट बाद तक की जाती है।

कब है रवि प्रदोष व्रत?

यह व्रत ज्येष्ठा मास के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि को रखा जाता है। यह व्रत 12 जून को सुबह 03 बजकर 23 मिनट से शुरू होगा और जिसके बाद इस शुभ तिथि का समापन देर रात 12 बजकर 26 मिनट पर हो जाएगा. रवि प्रदोष व्रत उदिया तिथि होने के कारण 12 जून को ही रखा जाएगा.

रवि प्रदोष व्रत में पूजा का शुभ मुहूर्त

रवि प्रदोष व्रत की पूजा 12 जून यानी रविवार को की जाएगी। इस दिन पूजा का शुभ मुहूर्त शाम 7 बजकर 19 मिनट से आरम्भ होगा और रात 9 बजकर 20 मिनट तक पूजा होगी। ऐसे में श्रद्धालुओं को शिव पूजा के लिए दो घंटे से अधिक का समय मिलेगा.

रवि प्रदोष व्रत के लाभ

इस दिन व्रत होने के कारण आयु वृद्धि, अच्छी सेहत का फल मिलता है। रवि प्रदोष व्रत एक ऐसा व्रत है जिसे करने से व्यक्ति लम्बा और निरोगी जीवन प्राप्त करता है। सूर्य से सम्बंधित सभी रोगों को इस दिन दूर किया जाता है। लेकिन किसी भी व्रत या पूजा का फल तभी मिलता है, जब विधि विधान पूजन और ईश्वर का भजन किया जाए.

रवि प्रदोष व्रत की पूजन विधि

आप इस दिन सबसे पहले तांबे के लोटे में जल भरें और शक्कर डालकर सूर्य को अर्घ्य दे देवें। इसके बाद जल के के छींटे आप आंखों पर लगाएं और भगवान शिव के मंत्र ॐ नमः शिवाय का जाप करें। प्रदोष काल में शिव जी को पंचामृत से स्नान करवाएं. साबुत चावल की खीर और फल भगवान शिव को अर्पित करें. आसन पर बैठकर ॐ नमः शिवाय के मंत्र या पंचाक्षरी स्तोत्र का 5 बार पाठ करें.

About admin

Check Also

जदयू जिला कार्यकर्ता सम्मेलन, ‘भाजपा भगाओ देश बचाओ’ का लिया संकल्प

बापू भवन टाउन हॉल में सैकड़ों ने लिया “भाजपा भगाओ देश बचाओ” का संकल्प  यूपी …