नई दिल्ली: दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी में चुनाव को देखते हुए सियासी पारा गर्म हो गया है। कमेटी में भ्रष्टाचार के मसले में तत्कालीन अध्यक्ष मंजीत सिंह जीके के फंसने के बाद अब महासचिव मनजिंदर सिंह सिरसा का पीछा भी करप्शन नहीं छोड़ रहा है। सिरसा के धुर विरोधी एवं शिरोमणि अकाली दल (दिल्ली) के अध्यक्ष परमजीत सिंह सरना एक-एक करके सिरसा से जुड़े भष्टाचार को उजागर कर रहे हैं। वीरवार को दोपहर बाद प्रेस कांफ्रेंस करके सरना ने टेंट, तंबू, कंबल एवं तिरपाल खरीद में हुए घोटाले उजागर किया। साथ ही आरोप लगाया कि सिरसा ने इनकी खरीद में कमेटी को लाखों रुपये का नुकसान पहुंचाया है।
पत्रकारों से बातचीत करते हुए सरना ने खुलासा किया कि मनजिंदर सिंह सिरसा ने मदनपुर खादर एक्स, सरिता विहार, दिल्ली में बताई जाती फर्जी कंपनियोंं अंबिका ऐ-सिम प्रा. लि. तथा वाणी ट्रेडिंग कंपनी से लगभग 85 लाख रुपये कीमत का तंबू, कंबल, तिरपाल इत्यादि खरीद की है। इन कंपनियों द्रारा दिये बिलों पर दर्ज पतों की पड़ताल की गई तो पता चला कि उक्त पतों पर ये कंपनियां मौजूद ही नहीं हैं। वर्तमान में ये पते भी नहीं हैं। सरना ने खुलासा किया कि इन फर्जी कंपनियों को सिरसा द्वारा वैट का भी भुगतान किया गया है जबकि इन कंपनियों द्वारा वसूले वैट सरकार को अदा भी नहीं किये गये हैं। सरना ने आरोप लगाया कि वर्तमान में इन कंपनियों का कोई वजूद ही नहीं है।
सरना ने कहा कि सिरसा द्वारा गोलक को लगाई गई इस बड़़ी चपत के खिलाफ एफआईआर दर्ज करके जांच करने के बारे में लिखित शिकायत नार्थ ऐवन्यू पुलिस स्टेशन में दर्ज करवायी गयी है। उन्होंने कहा कि सिरसा अपने आप को सिख संगत के सामने साफ-सुथरी छवि वाला होने का नाटक कर रहे हैं, जबकि अंदर खाते कमेटी को आर्थिक नुकसान पहुंचाया है।
उन्होंने कहा कि हम गत कई वर्षों से दिल्ली कमेटी के खातों का फारेंसिक आडिट सीएजी से करवाने की लगातार केन्द्र तथा दिल्ली सरकार से हो रही है, लेकिन अब तक सरकारों ने कोई मंजूरी नहीं दी। नतीजन, कमेटी में धड़ल्ले से हर स्तर पर आर्थिक गड़बड़ी की जा रही है।सरना के आरोप बेबुनियाद, खरीद में जीके व पप्पू के साइन : सिरसा
दिल्ली कमेटी के महासचिव मनजिंदर सिंह सिरसा ने परमजीत सिंह सरना के लगाए गए सभी आरोपों को सिरे से खारिज किया है। साथ ही कहा कि सरना बंधू झूठे आरोप लगाने से परहेज करें। मनजिंदर सिंह सिरसा ने अपना बयान जारी कर बताया कि जिस कंपनी के बिलों की बात सरना कर रहे हैं उस सामान की खरीद करने के लिए बने ऑफिस नोट पर तत्कालीन (अब निलंबित) जनरल मैनेजर हरजीत सिंह सूबेदार के हस्ताक्षर हैं। उसके बाद मंजूरी के लिए तत्कालीन कमेटी अध्यक्ष मंजीत सिंह जी.के. और तत्कालीन संयुक्त सचिव अमरजीत सिंह पप्पू के दस्तखत है, जबकि इंडेंट पर केवल मंजीत सिंह जी.के. के हस्ताक्षर हैं। अदायिगी के लिए दिये गए चेक न. 221637, 221638, 221639, 221640 और 221641 पर मंजीत सिंह जी.के. और अमरजीत सिंह पप्पू के साइन हैं जो कुल बनती रकम 84,02,625/- रुपए के है।
सिरसा ने कहा कि वह पहले भी इस बारे में दफ्तर की पत्रिका न. 17085/2-1 29 दिसम्बर 2018 के द्वारा कमेटी से निलंबित चल रहे जनरल मैनेजर हरजीत सिंह सूबेदार से स्पष्टीकरण मांग चुके हैं लेकिन उनकी तरफ से कोई भी स्पष्ट जवाब नहीं मिला, उल्टा आश्चर्य की बात यह है कि इस सामान को जब खरीदा गया उस समय मैं यहाँ मौजूद ही नहीं था फिर उनपर सरना किस गबन का बेबुन्याद दोष लगा रहे है। सिरसा ने यह भी कहा कि उनकी इस करवाई से पता लगता है कि वे बौखलाए हुए हैं तथा झूठ को सच साबित करने के लिए हवा में हाथ-पैर चला रहे हैं। वे कार्यकारणी के चुनाव को टालने के लिए साजिश रचते हुए बेवजह अड़ंगा डाल रहे हैं। सिरसा ने दावा करते हुए कहा कि सरना भाइयों की तरफ से मीडिया को गुमराह करते हुए कुल 11 बिलों की फोटो कॉपी मुहैया करवाई गयी है, जिसमें से 6 कापियां कुल बनते 5 बिलों की डुप्लीकेट थी।