मंदिर के लिए नेपाल से प्राचीन शालीग्राम भेजे गये
नगरवासियों ने उत्साह के साथ शालिग्राम का स्वागत किया
शिलाओं का 31 ब्राह्मणों ने विधिवत पूजन अर्चन किया
(नेशनल डेस्क) भगवान श्रीराम के अयोध्या स्थित रामजन्मभूमि पर बन रहे मंदिर के लिए नेपाल से प्राचीन शालीग्राम भेजे गये हैं जोकि एक ट्रक के माध्यम से विभिन्न शहरों का दौरा करते हुए गुरुवार को अयोध्या पहुँचे। इस दौरान नगरवासियों ने पूरे उत्साह के साथ शालिग्राम का स्वागत किया और दर्शन कर पूजन अर्चन भी किया। भगवान श्रीराम के ससुराल से आये इस अनोखे तोहफे से भगवान श्रीराम और माता सीता की मूर्तियां बनायी जायेंगी जोकि भव्य राम मंदिर में स्थापित की जायेंगी। आज जब पोखरा से 2 पवित्र शालिग्राम शिलाएं अयोध्या पहुँची तो शिलाओं को देखकर रामभक्तों के चेहरे खिल गये।
शिलाओं का 31 ब्राह्मणों ने विधिवत पूजन अर्चन किया जिसके बाद इन्हें ट्रस्ट को सौंपा गया। इस दौरान साधु-संतों का ही नहीं जनता का भी उत्साह देखने लायक था क्योंकि आज वह सपना पूरा हो रहा है जो सैंकड़ों वर्षों से देखा जा रहा था। शालीग्राम शिलाओं के साथ नेपाल से भी कई पुरुष और महिलाएं आई हैं जिनका राम मंदिर के साथ भावनात्मक लगाव भी देखते बन रहा है।
नेपाल के प्रसिद्ध धार्मिक स्थल जनकपुर से अयोध्या लाई गई देवसिला का पूजन हुआ। नेपाल के पूर्व उप प्रधानमंत्री जानकी मंदिर के महंत ने पूजन किया। वैदिक रीति रिवाज से पूजन के बाद शालिग्राम शिला श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट को सौंपी गई। इससे पहले, नेपाल के जनकपुर से चलकर शालिग्राम शिला बुधवार की देर रात रामनगरी पहुंची। भगवान विष्णु का स्वरूप मानी जाने वाली इस शिला का रामनगरी में भव्य अभिनंदन किया गया। हाईवे से जैसे ही देर रात शालिग्राम यात्रा ने प्रवेश किया तो जय श्री राम के नारे गूंजने लगे। लोगों ने पुष्प वर्षा की तो जमकर आतिशबाजी भी हुई। अयोध्या पहुंचने पर शालिग्राम शिला पर श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय, ट्रस्टी डॉक्टर अनिल मिश्र, निवर्तमान महापौर ऋषिकेश उपाध्याय सहित अन्य भाजपा नेताओं ने पुष्प वर्षा कर स्वागत किया।
हम आपको बता दें कि नेपाल के मुस्तांग जिले में शालीग्राम या मुक्तिनाथ के करीब एक स्थान पर गंडकी नदी में पाए गए छह करोड़ वर्ष पुराने विशेष चट्टानों से पत्थरों के दो बड़े टुकड़े बुधवार को नेपाल से रवाना किये गये थे जो आज अयोध्या पहुंचे। नेपाल की पवित्र काली गंडकी नदी के किनारे से लाये गये इन पत्थरों की रास्ते भर में जगह-जगह लोगों ने पूजा की और स्वागत किया। उल्लेखनीय है कि इन शालिग्राम की आयु करोड़ों साल की होती है। जो दो शिलाएं नेपाल से आई हैं उनमें एक का वजन 26 टन जबकि दूसरे का वजन 14 टन बताया गया है। शिलाओं को देखकर लगता है कि वह शिला नहीं अपितु भगवान राम और माता सीता की ही मूर्ति हैं।