नेशनल डेस्क: भारतीय सेना ने नए साल के मौके पर लद्दाख की गलवान घाटी में सीमा पर तिरंगा फहराया है। भारतीय सेना के सूत्रों के अनुसार सैनिकों ने नए साल की पूर्व संध्या के मौके पर तिरंगा फहराया। भारतीय सेना की ओर से तिरंगा लहराए जाने की खबर ऐसे मौके पर आई है, जब मीडिया एक वर्ग में चीन द्वारा गलवान घाटी में झंडा फहराए जाने की खबरें सामने आई थीं। इससे पहले यह भी खबर थी कि चीन ने अरुणाचल प्रदेश के कुछ इलाकों के नए नाम रखे हैं। चीन ने विवादित लैंड बाउंड्री लॉ को लागू किए जाने से पहले यह कदम उठाया था।
मीडिया रिपोर्ट्स में सामने आयी थी चीन की साजिश की खबरें
इन खबरों पर प्रतिक्रिया देते हुए बीते गुरुवार को केंद्र सरकार ने कहा था, ‘हमें कुछ मीडिया रिपोर्ट्स के माध्यम से चीन की ओर से अरुणाचल के कुछ हिस्सों के नाम बदलने की खबरें मिली हैं। लेकिन नाम बदलने से हकीकत नहीं बदलती है। अरुणाचल प्रदेश हमेशा भारत का अभिन्न हिस्सा था और आगे भी बना रहेगा।’ चीन के कदम के बारे में पूछे जाने पर विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा था, ‘चीन ने 2017 में भी इस तरह का कदम उठाय़ा था।’ 2020 में गलवान घाटी में ही भारत और चीन के सैनिकों के बीच झड़प हो गई थी। इसमें 20 भारतीय सैनिक शहीद हुए थे। इसके अलावा कई मीडिया रिपोर्ट्स में चीन के भी 40 से ज्यादा सैनिकों के मारे जाने की बात सामने आई थी।
भारतीय सैनिकों का गलवान में तिरंगा फहराना चीन को करारा जवाब
अब इसी गलवान घाटी में भारतीय सैनिकों की ओर से तिरंगा फहराए जाने को चीन को करारा जवाब माना जा रहा है। गलवान घाटी में दोनों देशों के सैनिकों के बीच झड़प के बाद से स्थिति बदली है। कई राउंड की बातचीत दोनों देशों के बीच हो चुकी है और उसके बाद कई मोर्चों से चीन ने अपने सैनिकों की तैनाती को कम किया है या हटा लिया है। खासतौर पर देपसांग और हॉट स्प्रिंग्स से चीनी सैनिकों की वापसी हुई है, जहां दोनों देशों के बीच लंबे समय से तनाव की स्थिति बनी हुई थी। भारत सरकार की ओर से कई बार कहा गया है कि चीन की ओर से सीमा की स्थिति को एकतरफा ढंग से बदलने का प्रयास किया गया है और यही विवाद की वजह है।