ज्योतिष के अनुसार पंचांग के आधार पर ही तिथि, वार, नक्षत्र, योग, करण के आधार पर मुहूर्तों का निर्धारण किया जाता है। जिस भी मुहूर्त में शुभ कार्य किये जाते है, उन्हें शुभ मुहूर्त कहते है। जैसे सिद्धि योग, सर्वार्थ सिद्धि योग, गुरु पुष्य योग, रवि पुष्य योग, पुष्कर योग, अमृत सिद्धि योग, राज योग, द्विपुष्कर और त्रिपुष्कर, यह कुछ शुभ योगों के नाम हैं. आइए जानते हैं 6 प्रमुख योगों के बारे में-
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अमृत सिद्धि योग’
ज्योतिष के अनुसार इस योग में बेहद ही शुभ कार्य सम्पन्न किये जाते है। यह योग वार एवम नक्षत्र के तालमेल से बनता है, लेकिन यदि इन तिथियों के बीच अशुभ मेल हो जाये तो अमृत योग नष्ट हो जाता है तथा विष योग बनता है।
सोमवार के दिन हस्त नक्षत्र होने पर जहां शुभ योग से शुभ मुहूर्त बनता है, लेकिन इस दिन षष्ठी तिथि भी हो तो विष योग बनता है.
सिद्धि योग:
ज्योतिष के अनुसार जब नक्षत्र, वार व तिथि के बीच आपस में अच्छा तालमेल होता है तो सिद्धि योग का निर्माण होता है। जैसे सोमवार के दिन अगर नवमी अथवा दशमी तिथि हो एवं रोहिणी, मृगशिरा, पुष्य, श्रवण और शतभिषा में से कोई नक्षत्र हो तो सिद्धि योग बनता है.
सर्वार्थ सिद्धि योग
यह बहुत ही अच्छा योग है, जो कि वार नक्षत्र के मेल से बनता है। गुरुवार और शुक्रवार के दिन अगर यह योग बनता है तो तिथि कोई भी यह योग नष्ट नहीं होता है अन्यथा कुछ विशेष तिथियों में यह योग निर्मित होने पर यह योग नष्ट भी हो जाता है. सोमवार के दिन रोहिणी, मृगशिरा, पुष्य, अनुराधा, अथवा श्रवण नक्षत्र होने पर सर्वार्थ सिद्धि योग बनता है जबकि द्वितीया और एकादशी तिथि होने पर यह शुभ योग अशुभ मुहूर्त में बदल जाता है.
गुरु पुष्य योग
यह योग गुरुवार व पुष्य नक्षत्र के संयोग से निर्मित होने के कारण इस योग को गुरु पुष्य योग के नाम से जाना जाता है। यह योग गृह प्रवेश, ग्रह शांति, शिक्षा सम्बन्धी मामलों के लिए अत्यंत श्रेष्ठ माना जाता है. यह योग अन्य शुभ कार्यों के लिए भी शुभ मुहूर्त के रूप में जाना जाता है.