14 जुलाई से शुरू होने वाला है सावन महीना
भगवान शिव को समर्पित है सावन महीना
Sawan Month 2022: 14 जुलाई से सावन महीना शुरू होने वाला है। ये महीना भगवान शिव को समर्पित है। पौराणिक मान्यता के अनुसार सावन के महीने में ही शिवजी अपने ससुराल गए थे जहां उनका जलाभिषेक करके स्वागत किया गया था।
इसलिए हर साल भूलोक-वासियों के लिए सावन का महीना भोलेनाथ का आशीर्वाद पाने के लिए उत्तम माना जाता है। इसे सावन माह को श्रावण मास के नाम से भी जानते हैं। इस महीने भगवान शंकर की विधि-विधान के साथ पूजा-अर्चना की जाती है। आइए जानते हैं भगवान शिव की पूजा करने की शुभ योग और नियम….
सावन माह की शुरुआत
सावन के पहले दिन प्रीति योग का शुभ संयोग बन रहा है। प्रीति योग 15 जुलाई सुबह 04 बजकर 16 मिनट से शुरू होकर 16 जुलाई सुबह 12 बजकर 21 मिनट तक रहेगा। मान्यता है कि इस योग में किए गए कार्यों में सफलता हासिल होती है।
सावन महीने के पहले दिन बन रहे ये शुभ मुहूर्त
- ब्रह्म मुहूर्त- 04:11 ए एम से 04:52 ए एम तक।
- अभिजित मुहूर्त- 11:59 ए एम से 12:54 पी एम तक।
- विजय मुहूर्त- 02:45 पी एम से 03:40 पी एम तक।
- गोधूलि मुहूर्त- 07:07 पी एम से 07:31 पी एम तक।
सावन माह के इन चीजों से करें परहेज
- सावन महीने में व्यक्ति को सात्विक आहार लेना चाहिए।
- माह में प्याज, लहसुन भी नहीं खाना चाहिए।
- सावन मास में मांस- मदिरा का सेवन नहीं करना चाहिए।
- इस महीने भगवान शंकर की विधि-विधान के साथ पूजा करनी चाहिए।
- इस माह में ब्रह्मचर्य का भी पालन करना चाहिए।
- सावन के महीने में सोमवार के व्रत का बहुत अधिक महत्व होता है।
- अगर संभव हो तो सावन माह में सोमवार का व्रत जरूर करें।
- सावन सोमवार व्रत के दौरान भगवान शिव का जलाभिषेक करें।
- सोमवार का व्रत करने वाले लोगों को महामृत्युंजय मंत्र का जाप कम से कम 108 बार जरूर करना चाहिए।
- शिवलिंग पर बेलपत्र, दूध, दही, घी, शहद, गंगाजल का पंचामृत बनाकर अभिषेक करें।
- हिंदू धर्म में रुद्राक्ष बेहद पवित्र माना जाता है। इस महीने में रुद्राक्ष धारण करना बहुत ही अच्छा माना जाता है।
- सावन में सोमवार व्रत की कथा जरूर सुनें।
भगवान शिव की पूजा में प्रयोग होने वाली सामग्री
पुष्प, पंच फल पंच मेवा, रत्न, सोना, चांदी, दक्षिणा, पूजा के बर्तन, कुशासन, दही, शुद्ध देशी घी, शहद, गंगा जल, पवित्र जल, पंच रस, इत्र, गंध रोली, मौली जनेऊ, पंच मिष्ठान्न, बिल्वपत्र, धतूरा, भांग, बेर, आम्र मंजरी, जौ की बालें,तुलसी दल, मंदार पुष्प, गाय का कच्चा दूध, ईख का रस, कपूर, धूप, दीप, रूई, मलयागिरी, चंदन, शिव व मां पार्वती की श्रृंगार की सामग्री आदि।