विपक्ष की उम्मीदवार मार्गरेट अल्वा ने नामांकन पत्र किया दाखिल
कांग्रेस नेता राहुल गांधी, मल्लिकार्जुन खड़गे सहित कई नेता रहे मौजूद
नेशनल डेस्क: उपराष्ट्रपति के चुनाव के लिए विपक्ष की उम्मीदवार मार्गरेट अल्वा ने आज अपना नामांकन पत्र दाखिल कर दिया। इस दौरान कांग्रेस नेता राहुल गांधी, मल्लिकार्जुन खड़गे, NCP प्रमुख शरद पवार, कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी, शिवसेना नेता संजय राउत एवं अन्य विपक्षी दल के नेता मौजूद थे। अल्वा और एनडीए के उम्मीदवार जगदीप धनखड़ के बीच 6 अगस्त को मुकाबला तय है।
कौन हैं मार्गरेट अल्वा
मार्गरेट अल्वा भारतीय राजनीति का एक दिग्गज नाम है। वो बीते कई दशकों से राजनीति में सक्रिय हैं। उनकी वरिष्ठता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि उन्हें 1974 में पहली बार पूर्व पीएम इंदिरा गांधी ने राज्यसभा भेजा था। 80 वर्षीय अल्वा का जन्म 14 अप्रैल 1942 को कर्नाटक के मैंगलूर में एक ईसाई परिवार में हुआ था। उनके पिता का नाम पास्कल एम्ब्रोस नजारेथ और माता का नाम एलिजाबेथ नजारेथ था। अल्वा ने अपनी उच्च शिक्षा बेंगलुरू के माउंट कार्मेल कॉलेज और राजकीय लॉ कॉलेज से की। उनकी शादी 24 मई 1964 को निरंजन अल्वा से हुई । उनके एक बेटी और तीन बेटे हैं। बता दें कि मार्गरेट के पति निरंजन स्वतंत्रता संग्राम सेनानी और भारतीय संसद की पहले कपल सांसद जोकिमा अल्वा और वायलेट अल्वा के पुत्र हैं।
सियासी सफर-1974 में पहली बार सांसद बनीं
मार्गरेट अल्वा साल 1974 में पहली बार संसद पहुंचीं। साल 1974 से लेकर साल 1999 तक लगातर चार टर्म वह कांग्रेस की राज्यसभा सांसद रहीं। 1999 के लोकसभा चुनाव में उन्होंने कर्नाटक की उत्तर कन्नड़ लोकसभा सीट से पहला आम चुनाव जीता। अल्वा 2004 के लोकसभा चुनाव में इस सीट से दोबारा चुनाव नहीं जीत पाईं। अपने 30 सालों के संसदीय करियर में वह 10 संसदीय समितियों में शामिल रहीं। एक सांसद के तौर पर महिला – कल्याण से जुड़े कई कानून को पास करवाने में अहम भूमिका निभाई। कांग्रेस सरकार में महिला सशक्तिकरण संबंधी नीतियों को तैयार कराने और उन्हें पास कराने में अल्वा का अहम योगदान रहा है।
कांग्रेस की दो सरकारों में किया काम
1984 की राजीव गांधी सरकार में मार्गरेट अल्वा संसदीय मामलों का केंद्रीय राज्य मंत्री बनीं। इसके बाद उन्हें मानव संसाधन विकास मंत्रालय में युवा मामले व खेल, महिला एवं बाल विकास का प्रभारी मंत्री भी बनाया गया। जबकि 1991 में राव की सरकार में पब्लिक और पेंशन विभाग की मंत्री बनाई गईं।
चार राज्यों की रह चुकी हैं राज्यपाल
वरिष्ठ कांग्रेस नेत्री मार्गरेट अल्वा यूपीए सरकार के दौरान चार राज्यों की राज्यपाल रह चुकी हैं। साल 2009 में पहली बार उन्हें उत्तराखंड का राज्यापाल बनाया गया था। अल्वा उत्तराखंड की पहली महिला राज्यपाल बनी थीं। इसके बाद साल 2012 में उन्हें राजस्थान का राज्यपाल बनाया गया, 2014 तक वह इस पद रहीं। इसी दौरान उन्हें गुजरात और गोवा का भी प्रभार मिला था।
साल 2008 में सोनिया गांधी से मतभेद
हालांकि, 2008 में पहली बार तात्कालीन कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से उनका मतभेद हुआ। तब अल्वा ने कर्नाटक में पार्टी नेतृत्व पर टिकट बेचने का सार्वजनिक आरोप लगाया था। दरअसल उनके बेटे निवेदित अल्वा को टिकट देने से प्रदेश नेतृत्व ने इंकार कर दिया था। इसके बाद उनकी सोनिया गांधी से मुलाकात हुई जिसके बाद उन्होंने पार्टी के सभी पदों से इस्तीफा दे दिया।