यूपी में फिर चली तबादले की रेल
18 आईपीएस अफसरों के हुए दबादले
सभाराज को डीआईजी अपराध अभिलेख ब्यूरो लखनऊ
लखनऊ: उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार में अफसरों के तबादलों का सिलसिला लगातार चलता रहता है। इसी कड़ी में शुक्रवार को बड़ा प्रशासनिक फेरबदल देखने को मिला है। यूपी में 18 आईपीएस अफसरों के तबादले किए गए है। योगी सरकार की तबादला नीति का ही यह परिणाम है कि प्रदेश की कानून व्यवस्था अत्यधिक सुदृढ़ हुई है। अभी कुछ दिन पहले ही पुलिस महकमे में बड़ा फेरबदल हुआ था लेकिन एक बार फिर यूपी सरकार में 18 आईपीएस अफसरों के तबादलों से प्रशासनिक महकमों में हड़कंप मचा हुआ है।
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इस बार डीआईजी रैंक के 18 अधिकारी को नई तैनाती दी गई है। स्वामी प्रसाद को डीआईजी स्पेशल इनवेस्टिगेशन टीम लखनऊ और सभाराज को डीआईजी एसीआरबी लखनऊ के पद पर भेजा गया है। सौमित्र यादव को डीआईजी 112 लखनऊ, बाबूराम को डीआईजी सीबीसीआईडी और दयानंद मिश्रा को फूड सेल का डीआईजी बनाया गया है। रमेश को डीआईजी इंटेलिजेंस मुख्यालय लखनऊ, योगेश सिंह को डीआईजी महिला एवं बाल सुरक्षा संगठन लखनऊ की जिम्मेदारी मिली है। गीता सिंह को डीआईजी अभियोजन लखनऊ, एन कुलांचे को डीआईजी साइबर क्राइम लखनऊ, सर्वेश कुमार राणा को डीआईजी खाद्य एवं रसद प्रशासन लखनऊ, जुगल किशोर को डीआईजी टेलीकॉम लखनऊ, विनोद कुमार मिश्रा को डीआईजी एंटी करप्शन लखनऊ के रूप में नई तैनाती मिली है।
इनके अलावा बालेंदू भूषण सिंह को डीआईजी लॉजिस्टिक्स लखनऊ, अरविंद भूषण पांडे को डीआईजी टेक्निकल सर्विसेज लखनऊ, राजीव मल्होत्रा को डीआईजी पीटीएस उन्नाव, डॉक्टर अखिलेश निगम को डीआईजी EOW, लल्लन सिंह को डीआईजी, इंटेलिजेंस मुख्यालय लखनऊ और महेंद्र यादव को डीआईजी ट्रेनिंग डायरेक्टरेट लखनऊ बनाया गया है। प्रदेश की योगी सरकार अधिकारियों के तबादलों को लेकर हमेशा ही बड़ी सक्रियता के साथ काम करती रही है फिर चाहें सवाल आईएएस अफसरों के तबादलों का हो या आईपीएस अफसरों का, सरकार की परिपक्व प्रशासनिक नीति स्पष्ट उजागर होती है। यह प्रदेश में कानून व्यवस्था से जुड़े सभी संभावित नकारात्मक मुद्दों को लेकर सरकार की जीरो टोलेरेंस पॉलिसी को दर्शाता है।
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