दिल्ली में मंकीपॉक्स के मामलों ने बढ़ाई सरकार की चिंता
तीन निजी अस्पतालों में आइसोलेशन रूम बनाने के निर्देश
मंकीपॉक्स को लेकर अलर्ट मोड पर सरकार
देश में मंकीपॉक्स के केस मामने आने से जहां सरकार अलर्ट मोड पर है। वहीं, देश की राजधानी दिल्ली में भी मंकीपॉक्स के मामलों ने सरकार की चिंता बढ़ा दी है। वहीं, मंकीपॉक्स के बढ़ते खतरे को देखते हुए दिल्ली सरकार ने तीन निजी अस्पतालों में आइसोलेशन रूम बनाने के निर्देश दिए हैं।
मंकीपॉक्स के मामलों को देखते 3 निजी अस्पतालों को आइसोलेशन रूम बनाने के निर्देश
दिल्ली सरकार के चिकित्सा अधीक्षक नर्सिंग होम ने 3 निजी अस्पतालों को मंकीपॉक्स के मामलों के लिए कम से कम 10 आइसोलेशन रूम बनाने का निर्देश दिए हैं। इनमें 5 रूम मंकीपॉक्स के संदिग्ध मामलों के प्रबंधन के लिए और 5 आइसोलेशन रूम मंकीपॉक्स के पुष्ट मामलों के लिए होंगे।
Medical Superintendent Nursing Homes, Delhi Govt directs 3 private hospitals to create at least 10 isolation rooms for #Monkeypox cases – 5 for management of suspected cases of monkeypox and 5 isolation rooms for management of confirmed cases of monkeypox. pic.twitter.com/jETUytC7lt
— ANI (@ANI) August 2, 2022
दिल्ली सरकार ने पूर्वी दिल्ली के विकास मार्ग एक्सटेंशन में स्थित कैलाश दीपक अस्पताल, उत्तरी दिल्ली के एम.डी. सिटी अस्पताल और दक्षिणी दिल्ली के तुगलकाबाद में स्थित बत्रा अस्पताल और रिसर्च सेंटर में मंकीपॉक्स केसों के लिए 10-10 रूम के आइसोलेशन सेंटर बनाने का निर्देश दिया है। तीनों ही अस्पतालों में 5-5 रूम संदिग्ध मरीजों के लिए और 5-5 रूम संक्रमितों के लिए रखने होंगे।
केंद्र सरकार ने बनाई पांच सदस्यीय टास्क फोर्स
बता दें कि, दुनियाभर में तेजी से बढ़ रहे मंकीपॉक्स के मामलों ने सरकार की चिंताएं बढ़ा दी हैं। केंद्र सरकार ने टास्क फोर्स का गठन किया है। ये टास्क फोर्स की टीम पूरे देश में मंकीपाक्स संक्रमण के मामलों पर नजर रखेंगे, जिसमें स्वास्थ्य मंत्रालय के सचिव सहित अन्य अधिकारियों को रखा गया है। टीम का नेतृत्व नीति आयोग के सदस्य डॉ वीके पॉल करेंगे।
ये हैं मंकीपॉक्स के लक्षण
मंकीपॉक्स एक वायरल जूनोसिस (जानवरों से इंसान में फैलने वाली बीमारी) है जिसमें चेचक के रोगियों में अतीत में देखे गए लक्षणों के समान लक्षण होते हैं, हालांकि यह चिकित्सकीय रूप से कम गंभीर है।
मंकीपॉक्स आमतौर पर बुखार, अस्वस्थता, सिरदर्द, कभी-कभी गले में खराश और खांसी और लिम्फैडेनोपैथ से शुरू होता है और ये सभी लक्षण त्वचा के घावों, चकत्ते और अन्य समस्याओं से चार दिन पहले दिखाई देते हैं जो मुख्य रूप से हाथ और आंखों से शुरू होते हैं और पूरे शरीर में फैलते हैं।