देश की आर्थिक वृद्धि दर घटकर सात प्रतिशत रहने का अनुमान
भारत तीव्र आर्थिक वृद्धि वाले देश का दर्जा खोने की स्थिति में आ सकता है
भारत की GDP Growth सऊदी अरब से कम रहने की संभावना
(नेशनल डेस्क) मांग में नरमी के साथ देश की आर्थिक वृद्धि दर चालू वित्त वर्ष में सालाना आधार पर घटकर सात प्रतिशत रह सकती है. ऐसा होने पर भारत तीव्र आर्थिक वृद्धि वाले देश का दर्जा खोने की स्थिति में आ सकता है.अगर ऐसा होता है तो भारत तेजी से आर्थिक वृद्धि हासिल करने वाले देश का दर्जा खोने की स्थिति में आ सकता है. राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय ने शुक्रवार को जारी राष्ट्रीय आय के पहले अग्रिम अनुमान में कहा कि वित्त वर्ष 2022-23 में सकल घरेलू उत्पाद वृद्धि दर सात प्रतिशत रहेगी, जो बीते वित्त वर्ष 2021-22 में 8.7 प्रतिशत थी. एनएसओ का यह अनुमान सरकार के पहले के 8 से 8.5 प्रतिशत जीडीपी वृद्धि के अनुमान से काफी कम है.हालांकि यह भारतीय रिजर्व बैंक के 6.8 प्रतिशत के अनुमान से अधिक है.
अगर यह अनुमान सही रहा, तो भारत की आर्थिक वृद्धि दर सऊदी अरब से कम रहेगी। सऊदी अरब की वृद्धि दर 7.6 प्रतिशत रहने की संभावना जतायी गयी है।
वास्तव में, भारत की जीडीपी वृद्धि दर जुलाई-सितंबर तिमाही में 6.3 प्रतिशत रही थी। यह सऊदी अरब की इसी अवधि में रही 8.7 प्रतिशत वृद्धि दर से कम थी।
जीडीपी का पहला अग्रिम अनुमान पिछले चार साल में तीन साल की वास्तविक वृद्धि के मुकाबले ज्यादा आशावादी है। इस अनुमान का उपयोग वार्षिक बजट में आवंटन और अन्य राजकोषीय अनुमान में किया जाता है।
हालांकि एनएसओ का अनुमान यह बताता है कि रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण उत्पन्न वैश्विक चुनौतियां बने रहने के बावजूद भारत का आर्थिक पुनरुद्धार पटरी पर है। लेकिन अर्थव्यवस्था पर कुछ दबाव भी हैं। मुद्रास्फीति ऊंची बनी हुई है। इसे नियंत्रण में लाने के लिये आरबीआई ने पिछले साल मई से नीतिगत दर में 2.25 प्रतिशत की वृद्धि की है, जिससे मांग पर असर पड़ने की आशंका है।
कृषि क्षेत्र में उत्पादन की दर 3 फीसदी से बढ़कर चालू वित्त वर्ष में 3.5 फीसदी के स्तर पर पहुंच जाएगी। यातायात, होटल और संचार आदि क्षेत्र की वृद्धि दर 11.1 फीसदी से बढ़कर 13.7% पहुंचने का अनुमान है।वित्तीय, रियल एस्टेट और पेशेवर सेवाओं की वृद्धि दर 4.2 फीसदी से बढ़कर 6.4 फीसदी पहुंच सकती है। हालांकि, निर्माण क्षेत्र की वृद्धि दर 11.5 फीसदी से घटकर 9.1 फीसदी रह सकती है। लोक प्रशासन, रक्षा व अन्य सेवाओं की वृद्धि दर घटकर 7.9% रह सकती है।
भले ही भारत की अर्थव्यवस्था की ग्रोथ पिछले साल के मुकाबले कम रहने का अनुमान हैं लेकिन ये अनुमान आईएमएफ के द्वारा दिए गए अनुमानों से बेहतर हैं. अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष ने अनुमान लगाया है कि चालू वित्त वर्ष और अगले वित्त वर्ष में भारत की आर्थिक वृद्धि दर क्रमशः 6.8 प्रतिशत और 6.1 प्रतिशत रहेगी.