नई दिल्ली। सीबीआई ने भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) में कथित भ्रष्टाचार के खिलाफ बुधवार को ऑपरेशन कनक’ शुरू किया और चंडीगढ़ में डीजीएम स्तर के एक अधिकारी की गिरफ्तारी के बाद पंजाब, हरियाणा व दिल्ली में 50 जगहों पर छापेमारी की। अधिकारियों ने कहा कि एफसीआई में अधिकारियों, चावल मिल मालिकों और बिचौलियों समेत अन्य के कथित गठजोड़ का पता लगाने के लिये छह महीने तक गोपनीय अभियान चलाने के बाद प्राथमिकी में एफसीआई के कार्यकारी निदेशक सुदीप सिंह समेत 74 लोगों को आरोपी बनाया गया है। ये लोग कथित तौर पर भ्रष्ट गतिविधियों में लिप्त थे।
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केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने कहा कि एफसीआई के उप महाप्रबंधक (डीजीएम) राजीव कुमार मिश्रा को रविंदर सिंह खेड़ा नाम के व्यक्ति से 50,000 रुपये की रिश्वत लेने के आरोप में गिरफ्तार किया गया है। एजेंसी ने कहा कि एफसीआई को ठेके पर दिए गए बेनामी गोदाम चलाने के लिए पंजाब सरकार के वरिष्ठ अधिकारियों की भूमिका भी जांच के दायरे में है। खेड़ा को हिरासत में भेज दिया गया है।
अधिकारियों ने बताया कि 74 आरोपियों में से 34 सेवारत और तीन सेवानिवृत्त अधिकारी व 20 संस्थाएं शामिल हैं। एजेंसी ने 80 लाख रुपये नकद बरामद किए हैं, जिसमें एक महिला अधिकारी के यहां से मिले 10 लाख रुपये भी शामिल हैं, जिसे वाशिंग मशीन में छिपा कर रखा गया था। सूत्रों ने कहा कि एजेंसी ने एफसीआई में भ्रष्टाचार के नापाक गठजोड़ के खिलाफ अभियान शुरू किया है, जिसमें खाद्यान्न की खरीद, भंडारण और वितरण में लगे अधिकारियों, चावल मिल मालिकों, अनाज व्यापारियों आदि की एक पूरी श्रृंखला शामिल है। आरोप है कि आरोपी अधिकारियों ने निविदा प्रक्रिया में भंडार गृह संचालकों और चावल मिल मालिकों का पक्ष लेने के बदले रिश्वत प्राप्त की।
सीबीआई प्रवक्ता ने एक बयान में कहा कि यह आरोप भी है कि निजी चावल मिल मालिक और अनाज व्यापारी कम गुणवत्ता वाले खाद्यान्न की खरीद को समायोजित करने, खाद्यान्नों को उतारने में दिन-प्रतिदिन के संचालन में कदाचार, विभिन्न कदाचारों के खिलाफ पूछताछ पर पर्दा डालने आदि के लिए एफसीआई अधिकारियों को रिश्वत दे रहे थे।” मिल मालिकों ने कथित तौर पर भंडार में कमी को पूरा करते हुए कम गुणवत्ता वाले खाद्यान्न को स्वीकार किया जिसे देश के अन्य हिस्सों में ले जाया गया। उन्होंने कहा, “चावल मिल मालिकों ने कथित तौर पर भ्रष्टाचार के तहत तकनीकी सहायकों, डीजीएम, एजीएम और यहां तक कि कार्यकारी निदेशक सहित एफसीआई के अधिकारियों को भारी मात्रा में रिश्वत दी।
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