श्रीरामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट का 18 सौ करोड़ का टैक्स माफ
ट्रस्ट को आय-व्यय का सम्पूर्ण लेखा-जोखा आनलाइन प्रस्तुत करने का निर्देश
निधि समर्पण अभियान 15 जनवरी से 27 फरवरी 2021 तक चलाया गया था
(उत्तरप्रदेश डेस्क) श्रीरामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट को आयकर विभाग ने एक बड़ी राहत दी है। विभाग की ओर से श्रीरामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट पर आरोपित किया गया 18 सौ करोड़ का टैक्स माफ कर दिया गया है। विगत दिनों श्रीरामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट की बैठक यह खुलासा हुआ है।इसके साथ ही ट्रस्ट को आय-व्यय का सम्पूर्ण लेखा-जोखा आनलाइन प्रस्तुत करने का निर्देश दिया गया था। इस निर्देश के बाद ट्रस्ट महासचिव चंपत राय विभाग के अपीलीय आयुक्त के समक्ष प्रस्तुत हुए और उन्होंने विभाग की सभी जिज्ञासाओं का निराकरण किया, जिससे विभागीय अधिकारी संतुष्ट हुए और टैक्स माफ कर दिया गया।
बैठक में ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने ट्रस्टियों को यह जानकारी देते हुए बताया कि वित्तीय वर्ष 2020-21 की अवधि में निधि समर्पण अभियान चलाया गया था। मंदिर निर्माण के लिए निधि समर्पण अभियान 15 जनवरी से 27 फरवरी 2021 तक चलाया गया था।
ट्रस्ट ने आयकर रिटर्न 2021 में दाखिल किया। आयकर विभाग द्वारा इसी अभियान के तहत जमा राशि पर टैक्सनिधि समर्पण अभियान पूरे देश में चलाया गया था। जिसमें 5500 करोड़ से अधिक की धनराशि मंदिर निर्माण के लिए भक्तों की ओर से प्राप्त हुई थी। अभियान का समापन हुए कई महीने बीत गए हैं फिर भी देश के कई जिलों की अभी तक ऑडिट रिपोर्ट ट्रस्ट को प्राप्त नहीं हो सकी है। आरोपित किया था। विभागीय सूचना पर ट्रस्ट द्वारा बताया गया कि इतने विशाल अभियान का लेखा-जोखा को ऑनलाइन ट्रांसफर करना संभव नहीं है। ट्रस्ट ने विभाग की सभी जिज्ञासाओं का निराकरण किया जिसके बाद टीडीएस के रूप में काटी गई धनराशि को वापस करने का आदेश विभाग द्वारा जारी कर दिया गया है।
बोर्ड ऑफ ट्रस्टीज की बैठक में जानकारी दी गयी कि 42 दिवसीय निधि समर्पण अभियान के अंतर्गत देश के 1142 जनपदों में से तीन जनपदों की आडिट रिपोर्ट प्रांतीय आडिटर तक अभी नहीं पहुंची है। इसके अलावा चार सांगठनिक प्रांतों के सभी जनपदों का संयुक्त ऑडिट अभी चल रहा है जिसके कारण प्राप्त कुल धनराशि का आंकड़ा फाइनल नहीं हो पा रहा है। मालूम हो कि इस अभियान के अंतर्गत देश के साढ़े पांच लाख गांवों में करीब 11 करोड़ लोगों से संपर्क किया गया था, जिनसे दस रुपये के कूपन से लेकर दस करोड़ तक की राशि रसीदों के जरिए प्राप्त की गयी थी, जिसका अनुमानित आंकडा चार हजार करोड़ के आसपास रहा।