अविवाहित महिलाओं को भी सरोगेसी का अधिकार देने की मांग
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से मांगा जवाब
किसे कहते हैं सरोगेसी?
National Desk: केंद्र सरकार द्वारा बनाया गया सरोगेसी कानून एकबार फिर चर्चाओं में है। दरअसल, सुप्रीम कोर्ट में सरोगेसी कानून 2021 के उस प्रावधान को चुनौती दी गई है, जिसमें अविवाहित महिलाओं को इच्छुक महिलाओं की परिभाषा से बाहर रखा गया है। यानी ऐसी महिलाओं के लिए इस कानून में कोई अधिकार नहीं है। एक अविवाहित महिला द्वारा इस संबंध में दायर याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है।
याचिका में महिला ने कहा है कि विवाहित महिलाओं, विधवाओं और तलाकशुदा महिलाओं को ही सरोगेसी के लाभों तक पहुंच देने और अविवाहित या सिंगल महिलाओं पर रोक लगाने से संविधान की धारा 14 का उल्लंघन होता है, जो समानता के अधिकार से संबंधित है। दरअसल, सरोगेसी कानून 2021 के तहत इच्छुक महिलाओं में वे भारतीय महिलाएं शामिल हैं, जो 35 से 45 वर्ष की आयु के बीच विधवा या तलाकशुदा हैं और जो सरोगेसी का लाभ उठाने का इरादा रखती हैं।
क्या है सरोगेसी?
सरोगेसी का मतलब होता है किराये की कोख। इसी इस तरह भी समझ सकते हैं – अपनी पत्नी के अलावा किसी दूसरी महिला की कोख में अपने बच्चे का पालना। ऐसे कपल जो माता-पिता तो बनना चाहते हैं लेकिन बच्चे पैदा नहीं कर सकते, वे सरोगेसीको अपनाते हैं। सरोगेसीके जरिए शाहरूख खान, आमिर खान, प्रियंका चोपड़ा, प्रीति जिंटा, शिल्पा शेट्टी और करण जोहर जैसे कई बड़े स्टार माता-पिता बने हैं। सरोगेसीभी दो प्रकार के होते हैं –
ट्रेडिशनल सरोगेसी- ट्रेडिशनल सरोगेसीमें डोनर या पिता के स्पर्म को सेरोगेट मदर के अंडाणु से मिलाया जाता है। इस प्रक्रिया में बच्चे की बायोलॉजिकल मां सेरोगेट मदर ही होती है। यानी जिसकी कोख किराए पर ली गई है। हालांकि, बच्चे के जन्म के बाद उसके आधिकारिक माता-पिता वे कपल ही होते हैं सरोगेसी के लिए ऑप्ट किया है।
जेस्टेशनल सरोगेसी – जेस्टेशनल सरोगेसी में माता-पिता के शुक्राणु और अंडाणु को मिलाकर सेरोगेट मदर की कोख में रखा जाता है। इस प्रक्रिया में सरोगेट मदर केवल बच्चे को जन्म देती है। सरोगेट मां का बच्चे से जेनेटिकली कोई संबंध नहीं होता है। बच्चे की मां सरोगेसी कराने वाली महिला ही होती है।
सरोगेसी को लेकर क्या है कानून
सरोगेसी कानून 2021 के मुताबिक, भारत में सरोगेसी कर्मशियल नहीं है। यहां केवल परोपकार या सामाजिक हित में सरोगेसी से बच्चा पैदान करने की अनुमति है। सरोगेट मदर को भुगतान करना गैरकानूनी है। सरकार का तर्क है कि यह प्रावधान इसलिए किया है कि ताकि गरीब महिलाओं का शोषण न किया जा सके। देश में कुछ ऐसे मामले देखे गए, जिसमें गरीब महिलाओं ने पैसे की खातिर असुरक्षित गर्भ धारण किया था।
कौन बन सकती है सरोगेट मदर ?
सरोगेसी कानून के मुताबिक, देश में हर महिला सरोगेट मदर नहीं बन सकती है। सरोगेट मदर से पहले जरूरी है कि महिला पूरी तरह से स्वस्थ हो। उसका मेडिकल सर्टिफिकेट होना अत्यंत जरूरी है। महिला तीसरी गर्भावस्था तक ही सरोगेसी कर सकती है।
इसे इस तरह समझें, जिस महिला को एक बच्चा है, वह दो बार सरोगेसी कर सकती है। जिस महिला को पहले से दो बच्चा है वो एक बार सरोसगेसी कर सकती है। तीन या उससे अधिक बच्चों की मां को सरोगेसी नहीं कर सकती हैं।