स्वामी प्रसाद मौर्य ने मुलायम सिंह यादव को लेकर बयान दिया
मुलायम सिंह यादव का किया गया अपमान
मुलायम को भारत रत्न मिलना चाहिए था
(उत्तरप्रदेश डेस्क) समाजवादी पार्टी एमएलसी स्वामी प्रसाद मौर्य अपने बयानों को लेकर बीते कुछ दिनों से चर्चा में हैं. अब उनका ताजा बयान सपा संस्थापक मुलायम सिंह यादव को लेकर आया है. गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर जारी एक आधिकारिक बयान में नेताजी को पद्म विभूषण देने का ऐलान किया गया. जिसके बाद सपा नेता ने चौंकाने वाला बयान दिया है.सपा एमएलसी स्वामी प्रसाद मौर्य ने एक बार फिर चौंकाने वाला बयान दिया है. उन्होंने कहा कि मुलायम सिंह यादव भारत रत्न के योग्य थे, लेकिन पद्म विभूषण देकर उनका मजाक बनाया. यह बीजेपी की घटिया सोच को दर्शाती है.
गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर मुलायम सिंह यादव को पद्म विभूषण सम्मान देने की घोषणा की गई. इसके बाद स्वामी प्रसाद मौर्य ने ट्वीट कर लिखा, “भारत सरकार ने नेताजी मुलायम सिंह यादव को मरणोपरांत पद्म विभूषण पुरस्कार देकर, नेताजी के व्यक्तित्व, कृतित्व एवं राष्ट्र के प्रति किये गये योगदान का उपहास उड़ाया है. यदि नेताजी को सम्मान देना ही था तो भारत रत्न के सम्मान से सम्मानित करना चाहिए था.”
स्वामी प्रसाद ने ट्वीट कर लिखा, “भारत सरकार ने नेताजी श्री मुलायम सिंह यादव को मरणोपरांत पद्म विभूषण पुरस्कार देकर, नेताजी के व्यक्तित्व, कृतित्व एवं राष्ट्र के प्रति किये गये योगदान का उपहास उड़ाया है। यदि नेताजी को सम्मान देना ही था तो भारत रत्न के सम्मान से सम्मानित करना चाहिए था।” बता दें कि समाजवादी पार्टी के संस्थापक मुलायम सिंह यादव को गणतंत्र दिवस 2023 के अवसर पर पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया। पद्म विभूषण देश का दूसरा सबसे बड़ा नागरिक पुरस्कार है।
स्वामी प्रसाद मौर्य के इस बयान पर सांसद एवं भारी उद्योग मंत्री डॉक्टर महेंद्र नाथ पांडे ने प्रतिक्रिया दी. उन्होंने कहा कि मुलायम सिंह यादव जी भारत के बहुत ही सम्मानित नेता थे. पद्मभूषण पर मुलायम सिंह यादव के प्रति हृदय से सम्मान करते हुए मैं उनके व्यक्तित्व को अभिनंदन प्रदान करता हूं. प्रभु श्रीराम से प्रार्थना है कि स्वामी प्रसाद जी को सद्बुद्धि दें. ताकि उनका लोक परलोक सब बेहतर हो.
बता दें कि पूर्व मंत्री समाजवादी पार्टी के नेता स्वामी प्रसाद मौर्य ने कहा कि रामचरितमानस के कुछ हिस्सों पर मुझे आपत्ति है. सपा नेता ने कहा, रामचरितमानस में दलितों और महिलाओं का अपमान किया गया है. तुलसीदास की रामायण में कुछ ऐसे अंश हैं, जिन पर हमें आपत्ति है. किसी भी धर्म में किसी को गाली देने का हक नहीं है. तुलसीदास की रामायण में चौपाई है. इसमें वह शूद्रों को अधम जाति का होने का सर्टिफिकेट दे रहे हैं. धर्म के नाम पर विशेष जाति का अपमान किया गया है.
तुलसीदास ने ग्रंथ को अपनी खुशी के लिए लिखा था. करोड़ों लोग इसे नहीं पढ़ते. इस ग्रंथ को बकवास बताते हुए उन्होंने कहा कि सरकार को इस पर प्रतिबंध लगा देना चाहिए. बता दें कि इससे पहले 11 जनवरी को बिहार के शिक्षामंत्री चंद्रशेखर ने भी रामचरित मानस को नफरत फैलाने वाला हिंदू धर्म ग्रंथ बताया था.