MBBS की पढाई को लेकर IMA की सरकार को चेतावनी
राज्य सरकार मेडिकल एजुकेशन में दखल नहीं दे सकते
एमबीबीएस छात्रों को आयुर्वेद पढ़ाने के प्रस्ताव पर कड़ी प्रतिक्रिया
National Desk. हरियाणा सरकार के एक प्रस्ताव पर इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) भड़का हुआ है। आईएमए ने एमबीबीएस की पढ़ाई से किसी प्रकार की छेड़छाड़ को लेकर सरकार को चेताया है। दरअसल, राज्य सरकार मेडिकल एजुकेशन के अलग-अलग ब्रांच को आपस में मिक्स करने की योजना बना रही है। इस प्रस्ताव के तहत एमबीबीएस की पढ़ाई कर रहे छात्र आयुर्वेद की पढ़ाई भी करेंगे। लेकिन मेडिकल एसोसिएशन को सरकार की यह योजना बिल्कुल रास नहीं आ रही है।
भारतीय चिकित्सा संघ ने एक बयान जारी कर कहा कि MBBS की पढाई को Mixopathy ना बनाए जाए, इसे एमबीबीएस ही रहने दिया जाए। संघ ने सरकार को आगाह करते हुए कहा कि अगर इस तरह के कदम उठाए गए तो देश का हेल्थ सेक्टर भारी संकट में आ जाएगा। पूरे हेल्थ केयर सिस्टम पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।
हरियाणा के गृह सह स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज के एमबीबीएस छात्रों को आयुर्वेद पढ़ाने के प्रस्ताव पर कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए मेडिकल एसोसिएशन ने कहा कि ये आयुर्वेद के लिए भी खतरा है, जिसे बढ़ावा देने की बात सरकार कर रही है। आईएमए का कहना है कि भारत में मेडिकल एजुकेशन का रेगुलेशन संसद द्वारा बनाए गए नेशनल मेडिकल कमीशन एक्ट 2019 से होता है।
इस प्रकार कोई भी राज्य सरकार देश की चिकित्सा शिक्षा में दखल नहीं दे सकती। मेडिकल एजुकेशन भारत के संविधान से जुड़ी सातवीं अनुसूची के तहत राज्य सूची में शामिल नहीं है। इसलिए हरियाणा के स्वास्थ्य मंत्री का बयान अनुचित, असंवैधानिक एवं दुर्भाग्यपूर्ण है। हालांकि, आईएमए ने साफ किया है कि वह आयुर्वेद के विरोध में नहीं है। एसोसिएशन का कहना है कि वह आयुर्वेद को प्राचीन चिकित्सा पद्धति के रूप में मान्यता देता है और इसके संरक्षण के लिए किए जा रहे प्रयासों का भी समर्थन करता है।
बता दें कि देश के कुछ हिंदी भाषी राज्यों में एमबीबीएस की पढ़ाई हिंदी में पढ़ाने की कोशिश हो रही है। मध्य प्रदेश इस पहल में सबसे आगे रहा और वहां हिंदी में पढ़ाई शुरू हो चुकी है। उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार भी इस कवायद में जुटी है और अधिकारियों की मानें तो जल्द से जल्द यहं भी एमबीबीएस की पढ़ाई हिंदी में शुरू हो जाएगी।