देवी पार्वती को ही कहा जाता है शास्त्रों में महागौरी व गौरी
गणपति बप्पा के साथ-साथ माता गौरी की भी पूजा विशेष रहती है
महागौरी की कृपा पाने के लिए करें देवी पार्वती के इस स्तोत्र का जप
धर्म डेस्क: इतना तो सब जानते हैं कि भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि से शुरू होकर पूरे दिन गणेशोत्सव मनाया जाता, जिसका समापन 11 वें दिन अनंत चतुर्दशी के दिन होता है। मगर बहुत कम लोग हैं जिन्हेें इस बार में जानकारी है कि 10 दिनों तक चलने वाले इस गणेशोत्सव के दौरान विघ्नहर्ता गणपति बप्पा के साथ-साथ माता गौरी की भी पूजा विशेष रहती है। बता दें देवी पार्वती को ही शास्त्रों में महागौरी व गौरी कहा जाता है। प्रत्येक वर्ष गणेशोत्सव के दौरान पड़ने वाले भाद्रपद शुक्ल की अष्टमी तिथि को माता गौरी की पूरे विधि-विधान से पूजा-अर्चना की जाती है। जो इस साल 26 अगस्त यानि आज मनाई जाएगी।ज्योतिष शास्त्र के अनुसार इस दौरान देवी गौरी की पूजा शुभ मुहूर्त के मद्देनज़र करनी चाहिए।
तो आइए जानते हैं ज्येष्ठ गौरी आवाह्नन तथा ज्येष्ठ गौरी पूजन का शुभ मुहूर्त
ज्येष्ठ गौरी आवाहन बुधवार, अगस्त 26, 2020
ज्येष्ठ गौरी आवाहन मुहूर्त – 06:22 ए एम से 01:04 पी एम
अवधि – 06 घण्टे 42 मिनट्स
ज्येष्ठ गौरी पूजा बुधवार, अगस्त 26, 2020 को
ज्येष्ठ गौरी विसर्जन बृहस्पतिवार, अगस्त 27, 2020 को
अनुराधा नक्षत्र प्रारम्भ – अगस्त 25, 2020 को 01:59 पी एम बजे
अनुराधा नक्षत्र समाप्त – अगस्त 26, 2020 को 01:04 पी एम बजे
अब जानें ज्येष्ठ गौरी पूजन का शुभ समय
ज्येष्ठ गौरी पूजा बुधवार, अगस्त 26, 2020 को
ज्येष्ठ गौरी पूजा मुहूर्त – 01:04 पी एम से 06:58 पी एम
अवधि – 05 घण्टे 53 मिनट्स
ज्येष्ठ गौरी आवाहन बुधवार, अगस्त 26, 2020 को
ज्येष्ठ गौरी विसर्जन बृहस्पतिवार, अगस्त 27, 2020 को
ज्येष्ठा नक्षत्र प्रारम्भ – अगस्त 26, 2020 को 01:04 पी एम बजे
ज्येष्ठा नक्षत्र समाप्त – अगस्त 27, 2020 को 12:37 पी एम बजे
बता दें गणेशोत्सव की ही तरह ज्येष्ठ गौरी पूजा को भी धूम धाम से मनाया जाता है। मान्यताओं के अनुसार मुख्य रूप से ये दोनों त्यौहार महाराष्ट्र में बड़े स्तर पर मनाए जाते हैं। सड़कों पर भगवान गणेश और देवी गौरी के भक्तों का जमावड़ा देखने को मिलता है। हालांकि इस बार कोरोना के कारण लोग अपने अपने घर में रहकर ही इस उत्सव का आनंद उठा रहे हैं। तो वही लोगों को ये भी कहना है कि कोरोना के कारण इस बार महाराष्ट्र के साथ-साथ देश के अन्य कोनों में इस गणेश उत्सव की रौनक फीकी हो गई है।
महागौरी की कृपा पाने के लिए करें देवी पार्वती के इस स्तोत्र का जप
जानकीकृतं पार्वतीस्तोत्रम्
जानकी उवाच
शक्तिस्वरूपे सर्वेषां सर्वाधारे गुणाश्रये ।
सदा शंकरयुक्ते च पतिं देहि नमोsस्तु ते ।।1।।
सृष्टिस्थित्यन्त रूपेण सृष्टिस्थित्यन्त रूपिणी ।
सृष्टिस्थियन्त बीजानां बीजरूपे नमोsस्तु ते ।।2।।
हे गौरि पतिमर्मज्ञे पतिव्रतपरायणे ।
पतिव्रते पतिरते पतिं देहि नमोsस्तु ते ।।3।।
सर्वमंगल मंगल्ये सर्वमंगल संयुते ।
सर्वमंगल बीजे च नमस्ते सर्वमंगले ।।4।।
सर्वप्रिये सर्वबीजे सर्व अशुभ विनाशिनी ।
सर्वेशे सर्वजनके नमस्ते शंकरप्रिये ।।5।।
परमात्मस्वरूपे च नित्यरूपे सनातनि ।
साकारे च निराकारे सर्वरूपे नमोsस्तु ते ।।6।।
क्षुत् तृष्णेच्छा दया श्रद्धा निद्रा तन्द्रा स्मृति: क्षमा ।
एतास्तव कला: सर्वा: नारायणि नमोsस्तु ते ।।7।।
लज्जा मेधा तुष्टि पुष्टि शान्ति संपत्ति वृद्धय: ।
एतास्त्व कला: सर्वा: सर्वरूपे नमोsस्तु ते ।।8।।
दृष्टादृष्ट स्वरूपे च तयोर्बीज फलप्रदे ।
सर्वानिर्वचनीये च महामाये नमोsस्तु ते ।।9।।
शिवे शंकर सौभाग्ययुक्ते सौभाग्यदायिनि ।
हरिं कान्तं च सौभाग्यं देहि देवी नमोsस्तु ते ।।10।।
स्तोत्रणानेन या: स्तुत्वा समाप्ति दिवसे शिवाम् ।
नमन्ति परया भक्त्या ता लभन्ति हरिं पतिम् ।।11।।
इह कान्तसुखं भुक्त्वा पतिं प्राप्य परात्परम् ।
दिव्यं स्यन्दनमारुह्य यान्त्यन्ते कृष्णसंनिधिम् ।।12।।
श्री ब्रह्मवैवर्त पुराणे जानकीकृतं पार्वतीस्तोत्रं सम्पूर्णम् ।।