PM MODIने मन की बात कार्यक्रम में बच्चों पर ध्यान किया केंद्रित
खिलौने छोटे बच्चों के पाठ्यक्रम का हिस्सा होने चाहिए-PM MODI
खिलौना इंडस्ट्री को ग्लोबल बनाना है- PM MODI
नेशनल डेस्क: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज यानी रविवार को अपने रेडियो कार्यक्रम ‘मन की बात’ में लोगों को संबोधित किया। इस दौरान खासतौर पर बच्चों पर ध्यान केंद्रित किया। PM MODI ने छोटे बच्चों और खिलौने पर चर्चा की। उन्होंने कहा कि छोटे बच्चों को खेल-खेल में सिखाना चाहिए और खिलौने उनके पाठ्यक्रम का हिस्सा होने चाहिए। इसके अलावा PM MODI ने पर्व और पर्यावरण पर भी बात की। साथ ही उन्होंने कहा कि कोरोना काल में देश के लोग दायित्व और अनुशासन के प्रति ज्यादा सजग हो गए हैं।
मन की बात कार्यक्रम में यह बोले पीएम मोदी…
- आमतौर पर ये समय उत्सव का होता है, जगह-जगह मेले लगते हैं, धार्मिक पूजा-पाठ होते हैं. कोरोना के इस संकट काल में लोगों में उमंग तो है, उत्साह भी है, लेकिन, हम सबको मन को छू जाए, वैसा अनुशासन भी है।
- एक रूप में देखा जाए तो नागरिकों में दायित्व का एहसास भी है।लोग अपना ध्यान रखते हुए, दूसरों का ध्यान रखते हुए, अपने रोजमर्रा के काम भी कर रहे हैं।
- अन्नानां पतये नमः, क्षेत्राणाम पतये नमः. अर्थात, अन्नदाता को नमन है, किसान को नमन है।
- हमारे किसानों ने कोरोना की इस कठिन परिस्थितियों में भी अपनी ताकत को साबित किया है। उन्होंने कहा कि कोरोना के इस कालखंड में देश कई मोर्चों पर एक साथ लड़ रहा है, लेकिन इसके साथ-साथ, कई बार मन में ये भी सवाल आता रहा कि इतने लम्बे समय तक घरों में रहने के कारण, मेरे छोटे-छोटे बाल-मित्रों का समय कैसे बीतता होगा।
- साथियों, हमारे चिंतन का विषय था- खिलौने और विशेषकर भारतीय खिलौने। हमने इस बात पर मंथन किया कि भारत के बच्चों को नए-नए खिलौने कैसे मिलें, भारत, खिलौनों के प्रोडक्शन का बहुत बड़ा हब कैसे बने।
- साथियों, खिलौने जहां एक्टिविटी को बढ़ाने वाले होते हैं, तो खिलौने हमारी आकांक्षाओं को भी उड़ान देते हैं। खिलौने केवल मन ही नहीं बहलाते, खिलौने मन बनाते भी हैं और मकसद गढ़ते भी हैं।
- वैसे मैं ‘मन की बात’ सुन रहे बच्चों के माता-पिता से क्षमा मांगता हूं, क्योंकि हो सकता है, उन्हें, अब, ये ‘मन की बात’ सुनने के बाद खिलौनों की नयी-नयी मांग सुनने का शायद एक नया काम सामने आ जाएगा।
- खिलौने बनाना बच्चों के पाठ्यक्रम हिस्सा हो। खेल-खेल में खिलौने बनाने की मिले शिक्षा. प्रतिभा निखारने वाले खिलौने बनाए जाएं।
- बच्चों के जीवन के अलग-अलग पहलू पर खिलौनों का जो प्रभाव है, इस पर राष्ट्रीय शिक्षा नीति में भी बहुत ध्यान दिया गया है। खेल-खेल में सीखना, खिलौने बनाना सीखना, खिलौने जहां बनते हैं वहां का दौरा करना, इन सबको पाठ्यक्रम का हिस्सा बनाया गया है।
- दुनिया में खिलौनों का 7 लाख करोड़ का कोराबार है। ऐसे खिलौने बनाएं, जो पर्यावरण के अनुरूप हो. लोकल खिलौने के लिए वोकल बनने का वक्त है। खिलौना इंडस्ट्री को ग्लोबल बनाना है।
- भारत के कुछ क्षेत्र टॉय कलस्टर यानी खिलौनों के केन्द्र के रूप में भी विकसित हो रहे हैं। जैसे, कर्नाटक के रामनगरम में चन्नापटना, आन्ध्र प्रदेश के कृष्णा में कोंडापल्ली, तमिलनाडु में तंजौर, असम में धुबरी, उत्तर प्रदेश का वाराणसी – कई ऐसे स्थान हैं।
- हमें आत्मनिर्भर बनना ही है। भारत को आत्मनिर्भर बनाना सबकी जिम्मेदारी है। स्वदेशी खिलौने और गेम्स बनाएं. भारत में भारत के कंप्यूटर गेम बनें।
- आत्मनिर्भर भारत अभियान में वर्चुअल गेम्स हों, ट्वाएड का सेक्टर हो, सभी ने, बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभानी है. 100 वर्ष पहले, गांधी जी ने लिखा था कि असहयोग आन्दोलन, देशवासियों में आत्मसम्मान और अपनी शक्ति का बोध कराने का एक प्रयास है।
- भारतीयों के इनोवेशन और साल्यूशन देने की क्षमता का लोहा हर कोई मानता है और जब समर्पण भाव हो, संवेदना हो तो ये शक्ति असीम बन जाती है। इस महीने की शुरुआत में, देश के युवाओं के सामने, एक एप इनोवेशन चैलेंज रखा गया।
- आप भी ऐसा कुछ बनाने के लिए प्रेरित हो जाएं। इनमें एक ऐप है, कुटुकी किड्स लर्निंग ऐप. ये बच्चों के लिए ऐसा रोचक ऐप है जिसमें गानों और कहानियों के जरिए बच्चे मैथ साइंस में बहुत कुछ सीख सकते हैं। इसमें एक्टिवीटिज भी हैं, खेल भी।
- नेशन और न्यूट्रिशन का गहरा संबंध है. भारत पोषण माह को चिह्नित कर रहा है, इससे छोटे बच्चों को फायदा होगा। मां को भी पौष्टिक आहार मिलना चाहिए. पोषण माह में सभी को स्वस्थ रहने के लिए प्रेरित करें।