- शिक्षक के पढ़ाने का अनूठा अंदाज़
- उनका कहना — घर- घर शिक्षा पहुँचाने का है प्रयास
- इसी जज्बे से होगा भारत का विकास
नेशनल डेस्क : कोरोना वायरस के बढ़ते प्रकोप की वजह से पिछले 6 महीने से स्कूल लगातार बंद है। जिसको देखते हुए सरकार और स्कूल प्रशासन ने ऑनलाइन क्लासेस का विकल्प चुना, जिससे बच्चों की शिक्षा पर इसका असर न पड़े। लेकिन अभी-भी देश में न जाने कितने ऐसे बच्चे हैं, जिनके पास उचित सुविधा न होने की वजह से ऑनलाइन कक्षाएँ नहीं ले पा रहे हैं।
उम्मीद की किरण की तरह है शिक्षक रूद्र राणा
जी हाँ, छत्तीसगढ़ के कोरिया जिले के शिक्षक रूद्र राणा उन बच्चों के लाए उम्मीद की किरण की तरह है, जो इंटरनेट या स्मार्टफोन ना होने के कारण ऑनलाइन क्लासेस से वंचित है। शिक्षक ने बच्चों को पढ़ाने का बेहतरीन तरीका निकाला है।
राणा बाइक पर बोर्ड,घंटी,चॉक और डस्टर लेकर चलते हैं और जैसे ही घंटी बजाते है, सभी बच्चे सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए इस क्रिएटिव क्लास का हिस्सा बनने के लिए पहुँच जाते है।
शिक्षा को घर-घर पहुँचाने की है सोच
इस बात की जानकारी एक न्यूज़ एजेंसी ने अपने ट्वीटर अकाउंट पर शेयर कर दी। राणा कहते है कि ‘कोरोना के कारण स्कूल बंद हैं और कई बच्चों की ऑनलाइन शिक्षा तक पहुंच नहीं है, इसलिए उन्होंने शिक्षा को घर- घर तक पहुंचाने की सोची। इस तरकीब के जरिए शिक्षक और छात्रों दोनों की सुरक्षा भी सुनिश्चित होती है, क्योंकि उनमें कोई संपर्क नहीं होता है।’
इंटरनेट पर खूब सराहा जा रहा…
इंटरनेट पर कोरोना काल में स्टूडेंट्स की मदद के लिए किए गए राणा के इस प्रयास की जमकर तारीफ की जा रही है।
एक क्षेत्र से दूसरे क्षेत्र जाकर राणा वहाँ के बच्चों को इकट्ठा कर उन्हें कोरोनावायरस और उनके शैक्षणिक विषयों के बारे में सिखाते हैं। राणा कहते है कि ‘उनके इस प्रयास में बच्चे ना सिर्फ शामिल हो रहे हैं, बल्कि इसमें रुचि भी दिखा रहे हैं।’ स्थानीय लोग उनकी इस पहल की सराहना कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि “मेरी बाइक पर लगा छाता शिक्षा के एक नए तरीके को दर्शाता है। साथ ही यह मुझे गर्मी और बारिश से भी बचाता है।”