- अनंत चतुर्दशी के दिन भगवान विष्णु दूर करते हैं कष्ट क्लेश
- रक्षा-सूत्र बांधने से पापों से मिलती है मुक्ति
- इस दिन ऐसे करना चाहिए भगवान विष्णु का पूजन
धर्म डेस्क: भाद्रप्रद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि पर अनंत चतुर्दशी का व्रत व पर्व मनाया जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इसी दिन गणेश विसर्जन भी किया जाता है। कहा जाता है कि अनंत चतुर्दशी की तिथि के दिन भगवान विष्णु के अनंत स्वरूप की पूजा तथा उनके लिए व्रत रखने की परंपरा है। अनंत का अर्थ जिसके न आदि का पता है नाही अनंत का। अर्थात जगत के पालनहार भगवान श्री नारायण। कहने का भाव है कि शास्त्रों में इस दिन भगवान विष्णु के ही अनंत स्वरूप की पूजा अर्चना करना विशेष माना गया है। इनके पूजन से जातक के जीवन के समस्त संकट समाप्त हो जाते हैं। इस दिन व्रत करने वाले को पूरा दिन फलाहार तथा एक समय बिना नमक के भोजन करना होता है।
इस दिन ऐसे करना चाहिए भगवान विष्णु का पूजन-
इस दिन कलश स्थापना करके सुंदर लोटे में कुश रखना चाहिए। ध्यान रखें अगर कुश उपलब्ध न भी हो तो इसके बदले में दुर्वा रखी जा सकती है। इसके बाद भगवान विष्णु की प्रतिमा व तस्वीर के समक्ष केसर, रोली, तथा हल्दी में रंगे हुए सूत की डोरी रखकर भगवान विष्णु की गंगा जल, गंध, पुष्प, अक्षत, धूप दीप आदि से पूजा करें। अब इन्हें किसी मिष्ठान का भोग लगाएं एवं भगवान विष्णु के अनंत रूप का ध्यान करते हुए सूत्र धारण करें। मान्यता है कि यह डोरी भगवान विष्णु को प्रसन्न करने वाली तथा अनंत फल प्राप्त प्रदान करने वाली होती है।
सूत्र बांधते समय इस मंत्र का करें उच्चारण-
अनंत संसार महासमुद्रे, मग्नं समभ्युद्धर वासुदेव।
अनंतरूपे विनियोजयस्व, ह्यनंतसूत्राय नमो नमस्ते।।
बता दें अनंत चतुर्दशी की पूजा में सबसे बड़ा महत्व सूत्र का होता है। यह अनंत सूत्र शुद्ध रेशम या कपास के धागे को हल्दी में भिगोकर 14 गांठ लगाकर तैयार किया जाता है। इसे हाथ व गले में भगवान विष्णु का ध्यान करते हुए धारण करना चाहिए। हर गांठ में श्री नारायण के विभिन्न नामों से पूजा करनाअत्यंत लाभकारी माना जाता है। इसके बारे में बताया जाता है श्री अनंत भगवान का पहली गांठ में अनंत उसके बाद ऋषिकेश, पद्मनाभ, माधव, वैकुंठ, श्रीधर, त्रिविक्रम, मधुसूदन, वामन, केशव, नारायण, दामोदर तथा गोविंद की नामों से पूजा की जाती है। मान्यता है इस अनंत सूत्र को बांधने से व्यक्ति के प्रत्येक प्रकार के कष्ट दूर होते हैं तथा समस्त प्रकार के पापों से छुटकारा मिलता है।