असम में बाल विवाह मामले में 3047 गिरफ्तार
14 से कम उम्र में शादी पर लगेगा पॉक्सो
बाल विवाह के खिलाफ तेज होगा अभियान
नेशनल डेस्क: मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने शुक्रवार को कहा कि असम में बाल विवाह में शामिल लोगों के खिलाफ कार्रवाई तेज की जाएगी क्योंकि सरकार का लक्ष्य 2026 तक सामाजिक खतरे को खत्म करना है।
उन्होंने सभी जिलों के उपायुक्तों और पुलिस अधीक्षकों के साथ इस मुद्दे पर बैठक की अध्यक्षता करने से पहले संवाददाताओं से कहा कि कार्रवाई के खिलाफ असम में कोई विरोध नहीं है। सरमा ने कहा, “बैठक बाल विवाह में शामिल लोगों के खिलाफ कार्रवाई तेज करने के उपायों और मुद्दे पर चर्चा के लिए बुलाई गई है।”
सीएम सरमा ने दावा किया कि जिन लोगों ने इस तरह की शादियां करने की योजना बनाई थी, उन्होंने अब उन्हें रद्द कर दिया है। यह निश्चित रूप से बाल विवाह के खिलाफ हमारी दो सप्ताह तक चली कार्रवाई का सकारात्मक प्रभाव है।उन्होंने कहा कि अब लोग आ रहे हैं और पुलिस से पूछ रहे हैं कि क्या वे शादी की व्यवस्था कर सकते हैं, क्योंकि दुल्हन 18 साल दो महीने या तीन महीने की हो गई है।इससे साफ पता चलता है कि अब लोगों में बाल विवाह को लेकर बहुत जागरूकता है।”
असम सरकार ने 3 फरवरी को बाल विवाह पर कार्रवाई शुरू की और अब तक 3,047 लोगों को गिरफ्तार किया है, जिनमें 2,954 पुरुष और 93 महिलाएं शामिल हैं। पुलिस ने अब तक 4,235 मामले दर्ज किए हैं, जबकि उनमें 6,707 लोगों को नामजद किया गया है।
सरमा ने कहा कि सिर्फ 251 लोगों या 8.23 फीसदी लोगों को ही जमानत मिली है।हालांकि, आरोपी एक-दो सप्ताह के बाद जमानत के हकदार हैं।उन्होंने कहा, “हम इस तरह की सामाजिक बुराइयों को समाप्त करने के लिए अपनी प्रतिबद्धता में दृढ़ हैं।”
मुख्यमंत्री ने दावा किया कि कार्रवाई के खिलाफ राज्य में कोई विरोध नहीं है। उन्होंने दावा किया, ‘हमें इस संबंध में धार्मिक नेताओं, सार्वजनिक और सामाजिक संगठनों से पूरा सहयोग मिल रहा है।’
सरमा ने एक ट्वीट में कहा कि उन्हें राज्य के विभिन्न हिस्सों से खबरें मिल रही हैं कि कार्रवाई के बाद कई परिवारों ने कम उम्र के बच्चों की पूर्व-निर्धारित शादियों को रद्द कर दिया है।
उन्होंने कहा, “यह निश्चित रूप से बाल विवाह के खिलाफ हमारे दो सप्ताह लंबे अभियान का सकारात्मक प्रभाव है।”
विपक्षी दलों ने राजनीतिक लाभ के लिए किशोर पतियों की गिरफ्तारी को “कानून का दुरुपयोग” करार देते हुए और “आतंकवादी लोगों” के साथ पुलिस कार्रवाई की तुलना करते हुए जिस तरह से अभियान चलाया जा रहा है, उसकी आलोचना की है।