रायपुर। छत्तीसगढ़ में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के छापे के बाद गिरफ्तार किए गए भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी समीर विश्नोई और अन्य की न्यायिक हिरासत की अवधि 12 दिनों के लिए बढ़ा दी गई है। अधिवक्ताओं ने शुक्रवार को यह जानकारी दी। अधिवक्ताओं ने बताया कि अदालत ने मामले के मुख्य संदिग्ध कोयला व्यापारी सूर्यकांत तिवारी को भी प्रवर्तन निदेशालय की हिरासत की अवधि समाप्त होने पर एक दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया था। उनके अनुसार आज चारों को अदालत में पेश किया गया जहां से सभी को 12 दिनों के लिए न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया। सूर्यकांत और लक्ष्मीकांत के अधिवक्ता फैसल रिजवी ने बताया कि सूर्यकांत, आईएएस अधिकारी समीर विश्नोई, सुनील अग्रवाल और लक्ष्मीकांत तिवारी की न्यायिक हिरासत की अवधि समाप्त होने पर उन्हें आज अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश अजय सिंह राजपूत की अदालत में पेश किया गया।
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रिजवी ने बताया कि उन्होंने अदालत में गरूवार को तर्क दिया था कि कर्नाटक पुलिस ने इस साल जुलाई में सूर्यकांत तिवारी (तब वह बेंगलुरु में थे) के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की थी। सूर्यकांत तिवारी पर आरोप है कि जब आयकर विभाग (आईटी) ने उसके परिसरों में तलाशी ली थी तब उसने कथित तौर पर महत्वपूर्ण दस्तावेजों के साथ-साथ इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स को नष्ट किया था तथा सरकारी अधिकारियों को कार्य करने से रोकने की कोशिश की थी।
अधिवक्ता ने बताया कि उन्होंने अदालत में कहा था कि कर्नाटक पुलिस द्वारा दर्ज किये गये इस मामले में सूर्यकांत तिवारी को कर्नाटक उच्च न्यायालय से स्थगन मिल गया है। उन्होंने कहा कि ईडी का मामला पूरी तरह से आईटी विभाग द्वारा साझा की गई जानकारी पर आधारित है और जब कर्नाटक उच्च न्यायालय ने बेंगलुरु में आईटी मामले पर रोक लगा दी है तो ईडी की जांच पर भी रोक लगा दी जानी चाहिए। उन्होंने बताया कि ईडी ने अपना जवाब देने के लिए समय मांगा था जिसके बाद अदालत ने गिरफ्तार किए गए सभी चार लोगों की एक दिन की न्यायिक हिरासत का आदेश दिया था। उनके अनुसार आज ईडी ने अपना जवाब प्रस्तुत किया, बाद में अदालत ने बचाव पक्ष के आवेदन को खारिज करते हुए सभी को 12 दिनों के लिए न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया।
ईडी ने 11 अक्टूबर को राज्य के शहरों में तलाशी अभियान चलाया था। इसके बाद 13 अक्टूबर को विश्नोई, अग्रवाल और लक्ष्मीकांत तिवारी को गिरफ्तार कर लिया गया। फरार बताए जा रहे सूर्यकांत तिवारी ने बाद में 29 अक्टूबर को अदालत के सामने आत्मसमर्पण कर दिया था, जिसके बाद उसे 12 दिनों के लिए ईडी की हिरासत में भेज दिया गया। प्रवर्तन निदेशालय ने एक बयान में दावा किया था कि छत्तीसगढ़ में कोयला ढुलाई में “बड़े पैमाने पर घोटाला” हो रहा है, जिसके तहत नेताओं, अधिकारियों और अन्य लोगों का एक समूह कथित तौर पर अवैध कर वसूली की समानांतर प्रणाली चला कर प्रतिदिन लगभग 2-3 करोड़ रुपये अर्जित कर रहा है।
आयकर विभाग की एक शिकायत पर संज्ञान लेने के बाद ईडी ने धनशोधन की जांच शुरू की थी। जांच एजेंसी ने दावा किया है कि इस घोटाले का मुख्य आरोपी सूर्यकांत तिवारी है और उसके सहयोगियों ने कोयले पर अवैध लेवी वसूलने के लिए एक समानांतर प्रणाली चलाया। एजेंसी के मुताबिक उसने छापेमारी के दौरान 4.5 करोड़ रुपए नगद, सोने के आभूषण और करीब दो करोड़ रुपये के अन्य कीमती सामान जब्त किया है।
2009 बैच के छत्तीसगढ़ कैडर के आईएएस अधिकारी विश्नोई छत्तीसगढ़ इंफोटेक प्रमोशन सोसाइटी के सीईओ के रूप में कार्यरत थे। वहीं महासमुंद जिले के अधिवक्ता लक्ष्मीकांत तिवारी कोयला व्यवसायी सूर्यकांत तिवारी के चाचा हैं तथा कोयला कारोबार से जुड़े इंद्रमणि समूह के निदेशक सुनील अग्रवाल का सूर्यकांत तिवारी से गहरा नाता बताया जाता है। ईडी ने छापे के दौरान दा अन्य आईएएस अधिकारियों रायगढ़ की कलेक्टर रानू साहू और उनके पति जेपी मौर्य के परिसरों की भी तलाशी ली थी।
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