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कांग्रेस ने देश को आपात काल दिया: पीएम मोदी

 
नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने महात्मा गाँधी की दांडी यात्रा पर एक ब्लॉग के जरिये महात्मा गाँधी के विचारों को आज जनता के साथ साझा किया। साथ ही उदाहरणों के माध्यम से ये बताया कि किस तरह कांग्रेस पार्टी बापू के सिद्धांतों, विचारों और संदेशों की धज्जियां उड़ा रही हैं। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि सौभाग्य की बात है कि केंद्र में आज भारतीय जनता पार्टी की एक ऐसी सरकार है, जो बापू के पदचिह्नों पर चलते हुए जनसेवा में जुटी है। वहीं, एक ऐसी जनशक्ति भी है, जो भारत को कांग्रेस कल्चर से मुक्त करने के उनके सपनों को पूरा कर रही है। उन्होंने कहा कि मुझे यह कहते हुए गर्व की अनुभूति हो रही है कि केंद्र की भाजपा सरकार द्वारा किये गए हर कार्य में बापू के इस चिंतन को समाहित किया गया है कि कैसे गरीबी दूर होगी और समृद्धि आएगी। लेकिन, दुर्भाग्यपूर्ण यह है कि कांग्रेस की संस्कृति गांधीवादी विचारधारा के बिल्कुल विपरीत हो चुकी है। मोदी ने कहा कि गांधी जी ने हमेशा अपने कार्यों के माध्यम से ये संदेश दिया कि असमानता और जाति विभाजन उन्हें किसी भी स्थिति में स्वीकार्य नहीं है। लेकिन, अफसोस है कि कांग्रेस ने समाज को विभाजित करने में कभी संकोच नहीं किया।



पीएम मोदी ने कहा कि गाँधी जी ने कहा था कि अगर कुशासन और भ्रष्टाचार फलते-फूलते हैं तो देश के गौरव की रक्षा नहीं की जा सकती है। कुशासन और भ्रष्टाचार एक-दूसरे को बढ़ावा देते हैं लेकिन, देश ने देखा है कि कैसे “कांग्रेस” और ‘भ्रष्टाचार” एक-दूसरे के पर्याय बन गए हैं। आप किसी भी सेक्टर का नाम ले लीजिए, आपको वहां कांग्रेस का एक घोटाला नजर आ जाएगा। 
मोदी ने कहा कि बापू ने सीख दी थी कि आवश्यकता से अधिक संपत्ति के पीछे भागना ठीक नहीं है, जबकि कांग्रेस ने अपने बैंक खातों को भरने और सुख-सुविधाओं वाली जीवन शैली को अपनाने का ही काम किया। ये सुख-सुविधाएं गरीबों की मूलभूत आवश्यकताओं की कीमत पर जुटाई गईं।



उन्होंने कहा कि बापू वंशवादी राजनीति की निंदा करते थे, लेकिन आज की कांग्रेस का यह मूलमंत्र बन चुका है। बापू ने लोकतंत्र को सबके लिए सामान अवसर वाली शासन प्रणाली बताया था लेकिन इसे विडंबना ही कहेंगे कि कांग्रेस ने देश को “आपातकाल” दिया, यह वह वक्त था, जब हमारी लोकतांत्रिक भावनाओं को रौंद डाला गया था। यही नहीं कांग्रेस ने धारा 356 का कई बार दुरुपयोग किया। उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने हमेशा वंशवादी संस्कृति को बढ़ावा दिया। लोकतांत्रिक मूल्यों के प्रति उनकी कभी कोई आस्था नहीं रही है। गांधी जी कांग्रेस कल्चर को अच्छी तरह से समझ चुके थे। इसीलिए वे चाहते थे कि कांग्रेस को भंग कर दिया जाए, विशेषकर 1947 के बाद।

उन्होंने कहा कि  दांडी मार्च अंग्रेजों के अन्यायपूर्ण नमक कानून का विरोध करने के उद्देश्य से निकाला गया था। लेकिन, इस आंदोलन ने अंग्रेजी शासन की नींव को हिला दिया था। दांडी मार्च अन्याय और असमानता से लडऩे का एक मजबूत प्रतीक बन गया। 

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