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शरिया कानून के तहत तालिबान में सजा-ए-मौत

  • दोषी को फांसी पर लटकाया,

  • सजा शरिया कानून के तहत दी गई,

  • गुनहगारों को सरेआम सजा मिलनी चाहिए,

(इन्टरनेशनल डेस्क) तालिबान शासन के प्रभावी होने के बाद अफगानिस्तान में पुराने तौर तरीके से सजा देने का प्राविधान शुरू हो चुका है। हाल के दिनों में डकैती, रेप, छेड़छाड़ आदि अपराधों में आरोपी पुरुषों या महिलाओं को सार्वजनिक रूप से कोड़े मारने जैसी सजा का प्रावधान है।तालिबान ने बुधवार को एक अफगानिस्तानी नागरिक को सार्वजनिक रूप से मौत दी। इस व्यक्ति पर एक शख्स की हत्या का आरोप था। तालिबान प्रवक्ता ने बताया कि यह सजा शरिया कानून के तहत दी गई है। प्रवक्ता के मुताबिक दोषी को पश्चिमी फराह प्रांत में सैकड़ों नागरिकों और तालिबान के कई शीर्ष अधिकारियों के सामने दोषी को फांसी पर लटकाया गया। आपको बतादें कि पिछले साल 15 अगस्त को अफगानिस्तान में तालिबान की वापसी के बाद यह पहली बार है जब किसी को सार्वजनिक फांसी हुई है।
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तालिबान के सुप्रीम लीडर हैबातुल्लाह अखुंदजादा ने पिछले महीने एक घोषणा की थी। जिसमें सभी जजों को आदेश दिया था कि गुनहगारों को सरेआम सजा मिलनी चाहिए। हालांकि,अभी तक तालिबान ने ऑफिशियली यह नहीं बताया है कि किसी जुर्म में क्या सजा दी जाएगी।मुजाहिद ने कहा कि सजा देने का फैसला बेहद सावधानी पूर्वक लिया गया. उन्होंने कहा कि इसके लिए देश की तीन शीर्ष अदालतों व तालिबान के सर्वोच्च नेता मुल्ला हिब्तुल्ला अखुंदजादा की मंजूरी ली गई थी. हेरात प्रांत के रहने वाले ताजमीर नामक जिस शख्स को मौत की सजा दी गई, उसे पांच साल पहले एक व्यक्ति की हत्या करने और उसकी मोटरसाइकिल व फोन चुराने का दोषी पाया गया.

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