- अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के लिए मस्क का दृष्टिकोण जरूरी था सुनना- दिल्ली हाई कोर्ट
- अदालत ने पूछा- याचिकाकर्ता के वकील से पूछा क्या वह मुकदमा चलाने को लेकर गंभीर हैं
- मस्क न केवल निदेशक हैं, बल्कि ट्विटर में भी उनकी अच्छी-खासी हिस्सेदारी है- याचिका कर्ता का वकील
नई दिल्ली। दिल्ली उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को उस याचिका को 25 हजार रुपये की लागत के साथ खारिज कर दिया जिसमें नियमों के कथित उल्लंघन को लेकर ट्विटर के एक उपयोगकर्ता के खाते को निलंबित किए जाने को चुनौती देने वाली याचिका में ट्विटर के नए मालिक एलन मस्क को पक्ष बनाने की मांग की गई थी।
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न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा ने याचिका को पूरी तरह से गलत करार दिया। न्यायाधीश ने कहा कि याचिका पूरी तरह गलत है। इस तरह के आवेदन को दाखिल करने की कोई आवश्यकता नहीं थी। तदनुसार, इसे 25,000 रुपये की लागत के साथ खारिज कर दिया जाता है। सुनवाई की शुरुआत में अदालत ने कहा कि क्या हमें इसे देखने की जरूरत है? और याचिकाकर्ता के वकील से पूछा क्या वह मुकदमा चलाने को लेकर गंभीर हैं। इस पर याचिकाकर्ता की तरफ से पेश अधिवक्ता राघव अवस्थी ने कहा कि उन्हें याचिका को आगे बढ़ाने का निर्देश दिया गया है। उन्होंने कहा कि मस्क न केवल निदेशक हैं, बल्कि ट्विटर में भी उनकी अच्छी-खासी हिस्सेदारी है और वह इस मामले में एक आवश्यक पक्ष हैं।
याचिका में कहा गया है कि मस्क का अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के लिए एक बहुत अलग दृष्टिकोण है और इसलिए, उनके विचारों को सुनना महत्वपूर्ण था। उच्च न्यायालय डिंपल कौल की एक याचिका पर सुनवाई कर रहा था, जिसमें दावा किया गया था कि उनके ट्विटर खाते के 2,55,000 से अधिक ‘फॉलोअर’ थे और वह इस खाते का उपयोग इतिहास, साहित्य, राजनीति, पुरातत्व, भारतीय संस्कृति, अहिंसा, महिला अधिकार की समानता आदि के संबंध में शैक्षिक सामग्री पोस्ट करने के लिए किया करती थीं।
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