Breaking News

जानिए कौन है दीपांकर भट्टाचार्य, 2015 में हासिल की थी 1.5 फीसदी वोट शेयरिंग

  • भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी लिब्रेरशन के महासचिव है दीपांक भट्टाचार्य
  • मोदी सरकार और नीतीश कुमार के पक्के विरोधी
  • महागठबंधन को लेकर चर्चा में दीपांक भट्टाचार्य

बिहार डेस्क: केंद्र की मोदी सरकार और बिहार की नीतीश सरकार के पक्के विरोधी दीपांकर भट्टाचार्य भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी लिब्रेशन के महासचिव हैं। दीपांकर भट्टाचार्य ने केंद्र सरकार के खिलाफ सीएए, एनआरसी और एनपीआर का जमकर विरोध किया था। इतना ही नहीं मोदी सरकार पर देश में सीरीयल इमरजेंसी लगाने का आरोप भी लगाया था।

जानिए क्यो है चर्चा में?

दीपांकर भट्टाचार्य बिहार चुनाव के मद्देनज़र सुर्खियों में बने हुए है। महागठबंधन में सीट शेयरिंग को लेकर मीडिया में बने रहते हैं। दरअसल आरजेडी नेता तेजस्वी यादव ने वामदलों को भी गठबंधन में सम्मिलित करने का प्रयास किया था, लेकिन अभी सीट शेयरिंग को लेकर पेंच फंसा हुआ है। उनका कहना है कि उनकी पार्टी 100 सीटों से कम पर चुनाव नहीं लड़ती है और 2015 के चुनाव परिणामों के आधार पर सीटों का बंटवारा उन्हें मंजूर नहीं है।

Read More Stories 
ऐसे की दूसरी सीटें अपने पार्टी के नाम

बता दें कि दीपांकर की मेहनत का नतीजा बिहार पिछले विस चुनाव में देख चुका है। 2015 चुनाव में पार्टियों ने एक गठबंधन के तौर पर चुनाव लड़ा था। लेकिन जहां सीपीआई और सीपीआईएम का खाता भी नहीं खुला। वहीं सीपीआई ने 3 सीटों पर कब्जा कर लिया। माना जाता है। कि लेफ्ट पार्टियों को एक करने में दीपांकर भट्टाचार्य का बहुत बड़ा हाथ है।

सबसे बड़ी वामपंथी पार्टी के तौर पर उभरी

बता दें कि 2015 विस चुनाव में सीपीआई (एमएल) और सीपीआई 98 सीटों पर खड़ी हुई थी। वहीं सीपीएम ने 38 सीटों पर अपने प्रत्याशी उतारे थे। दीपांकर ने चुनाव के परिणाम का गणित ही बदल दिया था। सीपीआई (एमएल) बिहार में सबसे बड़ी वामपंथी पार्टी के तौर पर उभरी। पार्टी ने 1.5 फीसदी वोट शेयर हासिल किया था। इसमें बलरामपुर, दरौली और तरारी सीट पर अपनी जीत दर्ज की थी।

Read More Stories 

About News Desk

Check Also

Bihar Diwas 2023: आज 110 साल का हुआ बिहार

आज 110 साल का हुआ आज बिहार 1912 में बांग्लादेश से अलग हुआ था बिहार  …