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‘लैंड फॉर जॉब’ मामले में तेजस्वी यादव से CBI और मीसा भारती से ED कर रही है पूछताछ

  • तेजस्वी यादव से CBI कर रही है पूछताछ

  • मीसा भारती से ED कर रही है पूछताछ

  • लालू परिवार पर जांच एजेंसियों का शिकंजा

बिहार डेस्क: बिहार के उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव शनिवार को नौकरी के बदले जमीन मामले की केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) की जांच में शामिल हुए। तेजस्वी सुबह करीब 10.40 बजे राष्ट्रीय राजधानी में सीबीआई मुख्यालय पहुंचे।इससे पहले उन्हें 4, 11 और 14 मार्च को जांच में शामिल होने के लिए बुलाया गया था, लेकिन वह नहीं पहुंच पाए थे। पिछली बार वह जांच में शामिल नहीं हुए थे, क्योंकि उनकी पत्नी की तबीयत खराब थी। एजेंसी ने हाल ही में इस मामले में तेजस्वी यादव की मां और बिहार की पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी और पिता और पूर्व रेल मंत्री लालू प्रसाद यादव  से पूछताछ की थी। सीबीआई ने आरोप लगाया है कि यह पाया गया कि आरोपियों ने मध्य रेलवे के तत्कालीन जीएम और सीपीओ के साथ साजिश रचकर जमीन के बदले में अपने करीबी लोगों की रेलवे में अवैध नियुक्ति कराई। सीबीआई ने मामले में अज्ञात लोक सेवकों सहित लालू प्रसाद यादव, उनकी पत्नी राबड़ी देवी, दो बेटियों और 15 अन्य के खिलाफ मामला दर्ज किया था।

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ईडी ने जहां मीसा भारती को तलब किया था, वहीं सीबीआई तेजस्वी से पूछताछ कर रही है। पूछताछ से बचने के लिए तेजस्वी ने कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था, लेकिन राहत नहीं मिली थी। माना जा रहा है कि तेजस्वी को गिरफ्तार भी किया जा सकता है। वहीं सीबीआई का कहना है कि उन्होंने सिर्फ पूछताछ के लिए तेजस्वी को बुलाया है। उन्हें गिरफ्तार करने का कोई उद्देश्य नहीं है। इसी आश्वासन के बाद तेजस्वी सीबीआई दफ्तर पहुंचे हैं। यह घोटाला तब हुआ था जब लालू यादव रेल मंत्री थे। नौकरी देने के बदले लोगों से उनकी जमीन अपने नाम लिखवा ली गई थी।
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लालू परिवार पर जांच एजेंसियों का शिकंजा

ईडी ने छापेमारी के बाद कहा कि उसने एक करोड़ रुपये की ‘आय के ज्ञात स्रोतों से अधिक नकदी’ बरामद की और अपराध में इस्तेमाल 600 करोड़ रुपये के लेनदेन का पता लगाया है। उसने कहा कि प्रसाद के परिवार और उनके सहयोगियों की तरफ से रियल एस्टेट समेत विभिन्न क्षेत्रों में किए गए और निवेश का पता लगाने के लिए जांच की जा रही है। यह मामला रेलवे में कथित तौर पर नौकरी पाने के लिए लालू प्रसाद के परिवार को सस्ती दर पर जमीन बेचने से संबंधित है। यह मामला उस वक्त का है जब राजद प्रमुख 2004 से 2009 के बीच रेल मंत्री थे। सीबीआई के एक अधिकारी ने कहा था, 2004-2009 की अवधि के दौरान लालू यादव ने रेलवे के विभिन्न क्षेत्रों में समूह डी पदों पर अवैध रूप से लोगों की नियुक्ति कराकर जमीन-जायदाद के हस्तांतरण के रूप में आर्थिक लाभ प्राप्त किया था। पटना के कई निवासियों ने खुद या अपने परिवार के सदस्यों के माध्यम से यादव के परिवार के सदस्यों और उनके परिवार द्वारा नियंत्रित एक निजी कंपनी के पक्ष में अपनी जमीन बेच दी या उपहार में दे दी।

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