गूगल को सुप्रीम कोर्ट से लगा झटका
7 दिन में जुर्माने का 10 फीसदी करें जमा
गूगल की अपील पर 31 मार्च तक फैसला करने को कहा
(नेशनल डेस्क) दुनिया की दिग्गज टेक कंपनी गूगल को आज फिर तगड़ा झटका लगा है. सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को गूगल पर कंपटीशन कमीशन ऑफ इंडिया के जुर्माने के फैसले को सही ठहराया है.10 फीसदी जुर्माना जमा करने के अंतरिम आदेश में हस्तक्षेप करने से इंकार कर दिया। साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने गूगल की याचिका को ट्रिब्यूनल को वापस भेज दिया और 31 मार्च तक मामले का फैसला करने को कहा है। शीर्ष अदालत ने एनसीएलएटी के उस आदेश का समर्थन किया है, जिसमें प्रतिस्पर्धा नियामक द्वारा इस अमेरिकी कंपनी पर 1337 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाने पर अंतरिम रोक लगाने से इनकार कर दिया गया था.
प्रधान न्यायाधीश डी. वाई. चंद्रचूड़ ने गूगल का प्रतिनिधित्व कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता ए.एम. सिंघवी से कहा, डॉ. सिंघवी, आपने हमें डेटा के संदर्भ में जो कुछ भी दिया है, वह वास्तव में आपके तर्क के विरुद्ध है। प्रभुत्व डेटा के संदर्भ में आप किस प्रकार के प्राधिकार को देखते हैं, यह 15,000 एंड्रॉइड मॉडल, 500 मिलियन संगत डिवाइस 1500 ओईएम को इंगित करता है।
जब आपके पास उस तरह का बाजार होता है, तो आप जोर देकर कहते हैं कि मेरे पास मेरा गुलदस्ता है, आप सीधे प्रभावित कर रहे हैं। मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि ओईएम जो करता है, उसका अंतिम उपभोक्ता पर असर पड़ता है।
CCI की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एन. वेंकटरमन ने कहा कि गूगल वर्ष 2018 में यूरोपीय आयोग द्वारा पारित इसी तरह के निर्देशों का पालन कर रहा है, लेकिन उसे दिक्कत नहीं है. वेंकटरमन ने कहा कि यहां उनके आचरण को देखें, यह अलग है. यूरोप में जरूरी बदलाव करने के बाद वे भारत में इसके विपरीत कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि वे सुरक्षा के बारे में बात कर रहे हैं, लेकिन जब आप यूरोप में ऐसा करते हैं, तो आपकी सुरक्षा को कोई खतरा नहीं है. लेकिन भारत में आपको खतरे हैं. यह लगातार बाजार की गुलामी का प्रतीक है. यह सामंतवादी है.
भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग ने अक्तूबर में निर्णय सुनाया कि गूगल के अपने प्ले स्टोर की लाइसेंसिंग को गूगल की गूगल खोज, क्रोम ब्राउज़र, यूट्यूब जैसी अन्य सेवाओं या किसी अन्य गूगल एप्लिकेशन को पहले इंस्टाल करने की जरूरतों से जोड़ा नहीं जाएगा।
इससे पहले गूगल ने सीसीआई के आदेश के खिलाफ नेशनल कंपनी लॉ अपीलेट ट्रिब्यूनल में अपील की. लेकिन वहां से कोई राहत नहीं मिली है. जिसके बाद ट्रिब्यूनल ने 4 जनवरी को CCI के आदेश पर स्थगन देने से इनकार कर दिया था. ट्रिब्यूनल का कहना था कि यह अपील आदेश आने के 2 महीने बाद 20 दिसंबर को की गई है.