रत्न शास्त्र: इन लोगों को सूट करता है नीलम
नीलम धारण करने के लाभ
नीलम रत्न को धारण करने की विधि
धर्म डेस्क : रत्न शास्त्र में 84 उपरत्न और 9 रत्नों का वर्णन मिलता है। इन 9 रत्नों का संबंध किसी न किसी ग्रह से जरूर होता है। मतलब यह रत्न उस ग्रह का प्रतिनिधित्व करते हैं। आज हम आपको बताएंगे नीलम रत्न के बारे में, जिसका संबंध शनि ग्रह से है। आपको बता दें कि अगर आप ये चाहते है कि आपको नौकरी में अच्छा पद मिले तो ऐसे में शनि ग्रह को मजबूत करने की जरूरत होती है। इसके लिए ज्योतिष शास्त्र में नीलम रत्न पहनने की सलाह दी जाती है। शनि ग्रह को कर्म प्रधान ग्रह माना गया है। अंग्रेजी में इस रत्न को ब्लू सैफायर कहते हैं। जानिए इस स्टोन को पहनने के क्या हैं लाभ और किन लोगो को करता है सूट?
किन लोगों को सूट करता है नीलम:
वैदिक ज्योतिष के अनुसार वृष राशि, मिथुन राशि, कन्या राशि, तुला राशि, मकर राशि और कुंभ राशियों को नीलम धारण करने की सलाह दी जाती है। अगर केंद्र के स्वामी शनि हैं तो भी नीलम धारण कर सकते हैं। साथ ही अगर शनि देव सकारात्मक (उच्च) के जन्मकुंडली में स्थित हैं, तो भी नीलम धारण कर सकते हैं। लेकिन वो राशियां जिनकी शनिदेव से शत्रुता है, उन्हें नीलम धारण करने से मना किया जाता है। जैसे मेष, वृश्चिक, कर्क, सिंह राशि वालों को नीलम धारण करने से बचना चाहिए। शनि अगर पंचम, नवम और दशम भाव में उच्च के विराजमान हो तो नीलम धारण करना चाहिए।
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नीलम धारण करने के लाभ:
रत्न शास्त्र अनुसार नीलम काली विद्या, तंत्र-मंत्र, जादू-टोना, भूत प्रेत आदि से रक्षा करता है। इसके अलावा नीलम धारण करने से व्यक्ति के कार्य करने की क्षमता बढ़ जाती है। नीलम धारण करने से व्यक्ति की कार्यशैली में निखार आता है।साथ ही वह अधिक बुद्धिमान भी बन जाता है और उसके सोचने की क्षमता का विकास होता है। वहीं शनि की दृष्टि एवं साढ़ेसाती से नीलम हमें बचाता है, साथ ही जिनपर शनि की साढ़ेसाती अथवा शनि की ढैया का प्रभाव हो उन्हें नीलम धारण करने से लाभ मिलता है। नीलम धारण करने से मनुष्य को तुरंत लाभ मिलता है अगर कुंडली के विश्लेषण के बाद धारण किया गया है तो।
नीलम रत्न को धारण करने की विधि:
मनुष्य को सवा 5 से सवा 7 रत्ती का नीलम धारण करना चाहिए। नीलम को पंचधातु में धारण किया जाता है। साथ ही नीलम को शनिवार या शनि के नक्षत्र में शाम के समय धारण कर सकते हैं। इसके लिए गंगा जल, दूध, केसर और शहद के घोल में अंगूठी को 15 से 20 मिनट तक रख दें और शनि देव की आराधना करें। अब अंगूठी को घोल से निकाल कर गंगा जल से धो ले। इसके बाद ही नीलम को धारण करें।