भारत अपने पड़ोसियों के साथ मैत्रीपूर्ण संबंध बनाए रखना चाहता है
राष्ट्रीय सुरक्षा की कीमत पर नहीं किया जाएगा
हमारी संस्कृति विश्व की प्राचीनतम संस्कृतियों में से एक है
(नेशनल डेस्क) रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि भारत अपने पड़ोसियों के साथ मैत्रीपूर्ण संबंध रखना और इन्हें आगे भी बनाए रखना चाहता है, लेकिन यह राष्ट्रीय सुरक्षा की कीमत पर नहीं किया जाएगा।लेकिन यह राष्ट्रीय सुरक्षा की कीमत पर नहीं किया जाएगा। यहां शिवगिरि मठ की 90वीं वार्षिक तीर्थयात्रा के दौरान सिंह ने पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की उस टिप्पणी को याद किया जिसमें उन्होंने कहा था कि हम दोस्त बदल सकते हैं लेकिन पड़ोसी नहीं।
रक्षा मंत्री ने कहा, ‘हमें अपने पड़ोसियों के साथ अच्छे और मैत्रीपूर्ण संबंधों की आवश्यकता है. लेकिन, हम अच्छे संबंध बनाए रखने के लिए राष्ट्रीय सुरक्षा से समझौता नहीं करेंगे. हम अपनी राष्ट्रीय सुरक्षा की कीमत पर किसी के साथ अच्छे संबंध नहीं चाहते हैं.
वहीं उन्होंने कहा, ‘आज हमारे पास गर्व करने के लिए जो-जो भी चीजें हैं, जो-जो भी विरासते हैं, उसमें हमारी सांस्कृतिक विरासत सबसे प्रमुख है. हमारी संस्कृति विश्व की प्राचीनतम संस्कृतियों में से एक है, और इसने भारत देश के साथ-साथ दुनिया भर को जीवन जीने की राह दिखाई है. समता, समानता, स्वतंत्रता, बंधुत्व और विश्वशांति के जिन सिद्धांतों की ओर आज दुनिया आगे बढ़ रही है, इसके सूत्र हमें भारतीय संस्कृति में दिखाई देते हैं.’
राजनाथ सिंह ने केरल के समाज सुधारक श्री नारायण गुरु की शिक्षाओं के बारे में भी बात की, जैसे ‘‘उद्योग के माध्यम से समृद्धि’’, जो भारत सरकार की ‘‘आत्मनिर्भर भारत’’ नीति का आधार है।‘‘इसी के परिणामस्वरूप हमें दुनिया की शीर्ष पांच अर्थव्यवस्थाओं में से एक माना जाता है और हमारी सेना को एक शक्ति के रूप में देखा जाता है।’’
उन्होंने कहा कि जब वह सशस्त्र बलों की मदद से और प्रधानमंत्री मोदी के मार्गदर्शन में भारत के ‘‘शरीर’’ (सीमाओं) की रक्षा के लिए काम कर रहे थे, तब मठ के संत देश की ‘‘आत्मा’’ की रक्षा के लिए काम कर रहे थे।राजनाथ सिंह ने कहा, ‘‘मैं आपके द्वारा किए जा रहे कार्यों की सराहना करता हूं। हम एक राष्ट्र के रूप में तभी जीवित रह सकते हैं जब शरीर और आत्मा दोनों सुरक्षित हों।’’