बुर्किना फासो से 50 महिलाओं के अपहरण का मामला
ठिकानों तक ले गए किडनैपर्स
जिहादियों ने ब्लॉक कर रखी है सड़कें
(इन्टरनेशनल डेस्क) बुर्किना फासो में संदिग्ध जिहादियों ने एक बार फिर बड़े अपहरण को अंजाम दिया है.पश्चिमी अफ्रीका से 50 महिलाओं के अपहरण का मामला सामने आया है. और उन्हें किसी अज्ञात जगह ले गए हैं.स्थानीय सूत्रों की मानें तो जिहादियों के समूह ने बुर्किना फासो में लगभग 50 महिलाओं का अपहरण किया है. महिलाओं को दो ग्रुप में बांट कर ले जाया गया है. वे फूड शॉर्टेज की वजह से जंगलों में पत्तियां और जंगली फल इकट्ठा करने गई थीं. जिहादियों द्वारा घेरे जाने के बाद कुछ महिलाएं वहां से भागने में कामयाब रहीं, जिन्होंने मामले का खुलासा किया.
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक अपहरण गुरुवार और शुक्रवार को हुआ था लेकिन खबर आप सामने आई है बताया जाता है कि क्षेत्र का ज्यादातर हिस्सा इस्लामी आतंकवाद की चपेट में है यहां रहने वाले एक निवासी ने बताया कि महिलाएं झाड़ियों में खाने की जरूरतें पूरी करने गई थी जहां जिहादियों ने उन्हें घेर लिया.
एकल निवासी ने कहा गुरुवार शाम को जब भी वापस नहीं आया तो हमने सोचा कि उनकी गाड़ियों में कोई समस्या लेकिन बच्चे तीन लोगों ने हमें बताएं कि क्या हुआ था साले क्षेत्र में अरविंदा जिहादी उग्रवाद से बहुत बुरी तरह प्रभावित क्षेत्र है जिहादियों ने शहर को जाने वाली और शहर से आने वाली सड़कों को ब्लॉक कर के रखा है यहां खाद्य आपूर्ति सीमित होने की वजह से गंभीर भुखमरी है और लोगों का हाल बुरा है
इसे स्थानीय निवासी के मुताबिक अगले दिन महिलाओं का एक और ग्रुप गया था उस ग्रुप में करीब 20 महिलाएं थी इनका पारण अरविंदा से 8 किलोमीटर की दूरी पर हुआ था दोनों ग्रुपों में से कुछ महिलाएं बचने में कामयाब रहे इस स्थानीय नागरिक ने बताया कि हमें यकीन है कि किडनैपर्स इन महिलाओं को अपने ठिकाने तक ले गए हैं एक स्थाई अफसर ने अपहरण की पुष्टि की और बताया कि आर्मी और इसकी सिविलियन सहायकों ने इलाके में छापेमारी की है लेकिन यह कामयाब नहीं रहा.
पिछले महीने, अरबिंदा में प्रदर्शनकारियों ने भोजन और आपूर्ति प्राप्त करने के लिए गोदामों में तोड़-फोड़ की थी. बुर्किना फासो लंबे समय से उग्रवाद की चपेट में है और यहां इस्लामी कट्टरपंथियों का आतंक लगातार बढ़ रहा है. एक दशक लंबे समय से यहां उग्रवादियों का कब्जा है और इसकी वजह से दो मिलियन लोग विस्थापित हो चुके हैं. इसी उग्रवाद को खत्म करने के लिए पिछले साल जनवरी में सेना ने तख्तापलट भी कर दिया था, लेकिन अभी भी हिंसा जारी है.