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जम्मू कश्मीर के इस गांव में भी ‘जोशीमठ जैसे हालात,21 घरों में आई दरारें

 

  • डोडा जिले में जोशीमठ जैसा संकट पैदा हो गया

  • ठाठरी इलाके के नई बस्ती गांव में घरों में दरारें आने लगी

  •  उन्नीस परिवारों को अस्थायी आश्रय स्थलों में भेजा गया

(नेशनल डेस्क) जम्मू के  डोडा जिले में जोशीमठ जैसा संकट पैदा हो गया है. यहां ठाठरी इलाके के नई बस्ती गांव में घरों में दरारें आने लगी है.जम्मू के डोडा जिले में जोशीमठ जैसा संकट पैदा हो गया है. यहां ठाठरी इलाके के नई बस्ती गांव में घरों में दरारें आने लगी है, जो लगातार बढ़ रही है. घरों में दरारें आने के बाद उन्नीस परिवारों को अस्थायी आश्रय स्थलों में भेजा गया है.

डोडा जिला उपायुक्त व वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक ने मौके का मुआयना कर बताया कि स्थिति पर नजर रखी जा रही है। दो दिन पहले मकानों में दरारें आनी शुरू हुईं थीं, लेकिन वीरवार को एक हिमस्खलन के बाद हालात बिगड़ने लगे। गांव में कुल 21 मकान क्षतिग्रस्त हो गए।

जम्मू कश्मीर के इस गांव में भी 'जोशीमठ जैसे हालात', घरों में दरारें आने के बाद 19 परिवारों को सुरक्षित स्थानों पर भेजा गया

उप जिलाधिकारी अतहर अमीन जरगर ने कहा, ‘घरों के असुरक्षित होने के बाद हमने 19 प्रभावित परिवारों को सुरक्षित स्थान पर स्थानांतरित कर दिया है. हम स्थिति पर नजर रख रहे हैं और उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक कदम उठा रहे हैं.’ उन्होंने कहा कि उपायुक्त और वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक ने घटनास्थल का दौरा किया और प्रभावित परिवारों को हरसंभव मदद का आश्वासन दिया. हालांकि, जरगर ने इस मामले की तुलना उत्तराखंड के जोशीमठ की स्थिति के साथ करने से इनकार कर दिया, जो भूधंसाव के कारण एक बड़ी चुनौती का सामना कर रहा है.

Doda

इस बीच प्रशासन की ओर से तैयार किए गए अस्थायी आवास में शिफ्ट किए गए लोगों में से कुछ लोग अपने पैतृक घरों में लौट आए हैं। गांव की जाहिदा बेगम ने बताया कि वह 15 साल से गांव में रह रही है, लेकिन पक्के मकान में दरारें पैदा होना आश्चर्यजनक है। गुरुवार को भूस्खलन के बाद से ही दरारें आई हैं। उन्होंने समुचित पुनर्वास की मांग की है। एक अन्य ग्रामीण फारूक अहमद ने कहा कि प्रभावित लोगों के परिवारों की मदद के लिए प्रशासन तथा स्वयंसेवी संगठनों को आगे आना चाहिए।

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इस बीच प्रशासन की ओर से तैयार किए गए अस्थायी आवास में शिफ्ट किए गए लोगों में से कुछ लोग अपने पैतृक घरों में लौट आए हैं। गांव की जाहिदा बेगम ने बताया कि वह 15 साल से गांव में रह रही है, लेकिन पक्के मकान में दरारें पैदा होना आश्चर्यजनक है। गुरुवार को भूस्खलन के बाद से ही दरारें आई हैं। उन्होंने समुचित पुनर्वास की मांग की है। एक अन्य ग्रामीण फारूक अहमद ने कहा कि प्रभावित लोगों के परिवारों की मदद के लिए प्रशासन तथा स्वयंसेवी संगठनों को आगे आना चाहिए।

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